#धर्म
January 13, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जिन्होंने अकबर को सिखाया था सबक
देवता साहिब की परीक्षा लेना चाहता था अकबर
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कुल्लू। देवभूमि कहलाए जाने वाले हिमाचल प्रदेश के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। लोगों की देवी-देवताओं से अनोखी आस्था जुड़ी हुई है। हिमाचल के लोग देवी-देवताओं को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। देवी-देवताओं के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि वे अपने दैनिक जीवन के हर छोटे-बड़े निर्णय में उन्हें शामिल करते हैं।
यहां हर गांव का अपना देवता है- जिन्हें विशेष पूजा-अर्चना के माध्यम से सम्मानित किया जाता है। हिमाचल की संस्कृति और परंपराएं इस धार्मिक आस्था में रची-बसी हैं, जो इसे एक अनोखा और पवित्र स्थान बनाती हैं।
आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जिनकी अकबर परीक्षा लेना चाहता था। मगर देवता साहिब ने ऐसा कुछ कर दिखाया कि अकबर को उनसे माफी मांगनी पड़ी।
हम बात कर रहे हैं मलाणा घाटी के आराध्य- बड़ादेऊ जमलू यानी जमदग्नि ऋषि की। जो विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के पिता थे।
मलाणा गांव से जुड़ी कहानी बताती है कि मुगल सम्राट अकबर भी इस गांव को अपने अधीन नहीं कर पाया था। मलाणा पर अपना अधिकार जमाने के लिए जब अकबर ने देवता जमलू की परीक्षा लेनी चाही थी, तो अकबर को सबक सिखाने के लिए जमलू देवता ने दिल्ली में बर्फ गिरवा दी थी। इसके बाद अकबर को जमलू देवता से माफी मांगनी पड़ी थी।
वहीं, एक वक्त तक देवता जमलू के पास दोषियों को मृत्यु दंड देने का भी अधिकार था। जब देवता साहिब किसी को मौत की सजा सुनाते थे- तो आरोपी को पहले कंबल में बांधा जाता था। फिर ऊपर से पत्थर बांधे जाते थे और इस सब के साथ ही उसे एक ऊंचे पहाड़ से बहती नदी में फेंक दिया जाता था। कथा बताती है कि बड़ादेऊ जमलू एक पराक्रमी योद्धा भी थे। उन्होंने आज के चाइना और उस वक्त के महाचीन में कई सारे युद्ध लड़े थे। इसके बाद वो महाचीन से चलकर सबसे पहले स्पीति के हांसा गांव पहुंचे।
इसके बाद ध्यानमग्न होने के लिए किसी एकांत स्थान की खोज करते हुए वो मलाणा पहुंचे- जहां उन्होंने बाणासुर का वध कर क्षेत्रवासियों को उसके आतंक से मुक्त कराया। आज भी मलाणा के लोग बड़ादेऊ जमलू को इतना मानते हैं कि उन्होंने कोरोना की वैक्सीन भी देवता से पूछकर लगवाई थी।