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January 27, 2025

हिमाचल की वो देवी- जिनकी रावण भी करता था इष्ट देवी के रूप में पूजा

दोनों ही युगों से है इस माता रानी का नाता

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Mata Baglamukhi

कांगड़ा। देवी-देवताओं की भूमि हिमाचल अपने धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां के हर गांव और क्षेत्र में देवी-देवताओं की उपासना की गहरी परंपरा है। हिमाचल के मंदिर न केवल पूजा-अर्चना के केंद्र हैं, बल्कि यह राज्य की संस्कृति, आस्था और परंपराओं के प्रतीक भी हैं।

 

हिमाचल के मंदिरों में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। स्थानीय लोग देवी-देवताओं को अपने रक्षक मानते हैं और हर शुभ कार्य देवी-देवताओं की पूजा के बिना अधूरा समझा जाता है। यहां बहुत सारे ऐसे मंदिर भी हैं- जो सतयुग से जुड़े हुए हैं।

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रावण मानता था इष्ट देवी

आज के अपने इस लेख हम आपको हिमाचल की एक ऐसी देवी के बारे में बताएंगे- जिनकी रावण इष्ट देवी के रूप में पूजा करता था। द्वापर हो या त्रेता- दोनों ही युगों से इस माता रानी का नाता है। लोगों का कहना है कि इंदिरा गांधी भी इन्हीं देवी मां की कृपा से भारत की प्रधानमंत्री बनी थी। हम बात कर रहे हैं माता बगलामुखी की।

 

राक्षस ने चुराया ग्रंथ

पौराणिक कथा के अनुसार, बगलामुखी माता की उत्पति ब्रह्मा जी के द्वारा की गई अराधना के बाद हुई थी। मान्यता अनुसार, सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का ग्रंथ एक राक्षस ने चुरा लिया था और वह राक्षस पाताल लोक में जाकर कहीं छिप गया था।

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बगुले का रूप किया धारण

उस राक्षस को एक ऐसा वरदान प्राप्त था- जिसके कारण पानी के भीतर रहने पर उसे ना तो कोई मानव मार सकता था और ना ही राक्षस। ऐसे में जब कोई उपाय ना मिला तो ब्रह्मा जी ने मां भगवती का जाप किया और इसी जाप से बगलामुखी माता की उत्पति हुई। फिर मां ने बगुला रूप धारण कर उस राक्षस का वध कर दिया और बह्मा जी को उनका ग्रंथ भी लौटा दिया।

 

हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है और रात के वक्त इनकी पूजा करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। यही कारण है की माता बगलामुखी के दरबार में राजनीतिज्ञों से लेकर मनोरंजन जगत से जुड़े लोग भी कतार लगाकर पहुंचते हैं। मान्यता है कि माता के दरबार में किया गया अनुष्ठान उनके सारे दुखों को हर लेता है।

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