#राजनीति
January 11, 2025
महिला सुरक्षा पर गंभीर नहीं सुक्खू सरकार, 2 साल से नहीं लगी अदालत
सरकार नहीं कर पाई अध्यक्ष-सदस्य की नियुक्ति
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले महिला आयोग की कार्यप्रणाली ठप पड़ी हुई है। कांग्रेस सरकार ने 25 महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है। इस प्रक्रिया के न होने से पीड़ित महिलाओं की शिकायतों का निपटारा नहीं हो पा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, महिला आयोग को अब तक करीब 1400 शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं, जिनमें से ज्यादातर घरेलू हिंसा से संबंधित हैं। हालांकि, इन शिकायतों पर सुनवाई नहीं हो पा रही है, क्योंकि इनकी सुनवाई का अधिकार केवल महिला आयोग के चेयरमैन को है। आयोग के कार्यों के लिए चार सदस्य भी जरूरी होते हैं, लेकिन न तो सरकार ने चेयरमैन की नियुक्ति की है और न ही सदस्यों की।
महिला आयोग का चेयरमैन पहले विभिन्न जिलों में जाकर अदालत लगाता था, जहां पीड़ित महिलाओं की फरियाद सुनी जाती थी। इसके बाद, कुछ मामलों को पुलिस और संबंधित विभागों को भेजा जाता था, जबकि कुछ मामलों का निपटारा आयोग अपनी स्तर पर करता था। इस व्यवस्था से दूरदराज के इलाकों में रहने वाली महिलाओं को शिमला आने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी।
महिला आयोग के चेयरमैन को महिलाओं से जुड़े मामलों में सु-मोटो कार्यवाही का अधिकार भी होता है, यानी कि वह किसी भी विभाग को तलब कर सकते हैं और महिलाओं के हक में नए कानून बनाने के लिए सिफारिश भी कर सकते हैं। इस काम में आयोग के सदस्य उनका सहयोग करते हैं। लेकिन वर्तमान में चेयरमैन और सदस्य दोनों की नियुक्ति नहीं होने के कारण आयोग की यह महत्वपूर्ण कार्यवाही भी ठप पड़ी हुई है।
महिला आयोग के कामकाज में यह रुकावटें न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में बाधक बन रही हैं, बल्कि इससे पीड़ित महिलाओं को अपनी शिकायतों का निपटारा पाने के लिए अदालतों और अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ऐसे में सरकार से अपेक्षाएं जताई जा रही हैं कि वह जल्द से जल्द महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति कर इन समस्याओं का समाधान करें।
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