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September 25, 2025

CM सुक्खू की MLA पत्नी की बढ़ेंगी मुश्किलें, होशियार सिंह खटखटाएंगे हाईकोर्ट का दरवाजा, जानें क्यों

देहरा उपचुनाव हाईकोर्ट की चौखट पर

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Himachal Pradesh Politics

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अब फिर से एक नया मोड़ आने वाला है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी और देहरा से कांग्रेस विधायक कमलेश ठाकुर की चुनावी जीत को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी हो रही है। आरोप है कि आचार संहिता के दौरान सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर वोटरों को प्रभावित किया गया।

बीजेपी प्रत्याशी की तैयारी

मिली जानकारी के अनुसार, देहरा से उपचुनाव लड़े भाजपा प्रत्याशी होशियार सिंह ने खुलासा किया है कि उनके पास पुख्ता दस्तावेज मौजूद हैं। इन्हीं सबूतों के आधार पर वे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने जा रहे हैं।

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उनका आरोप है कि चुनाव जीतने के लिए प्रदेश सरकार ने कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक से 67 महिला मंडलों को 50-50 हजार रुपए का बजट जारी किया। इसके साथ ही, देहरा क्षेत्र की लगभग 1000 महिलाओं के खातों में ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना’ के तहत तीन माह की राशि जमा करवाई गई।

पिटीशन तैयार, जल्द होगी दाखिल

पूर्व विधायक होशियार सिंह का कहना है कि, उन्होंने एडवोकेट से पूरी पिटीशन तैयार करवा ली है और अब कुछ ही दिनों में इसे हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया जाएगा। वे अदालत से न केवल देहरा उपचुनाव रद्द करने की गुहार लगाएंगे, बल्कि आचार संहिता के दौरान पैसा बांटने में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग करेंगे। देहरा सीट 10 जुलाई 2024 को उपचुनाव के कारण सुर्खियों में रही थी।

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यह सीट तब खाली हुई, जब निर्दलीय विधायक रहे होशियार सिंह ने भाजपा ज्वाइन करने के बाद 22 मार्च को इस्तीफा दिया। भाजपा ने उन्हें ही टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा। 14 जुलाई को आए नतीजों में कमलेश ठाकुर ने 9399 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और होशियार सिंह को हार का सामना करना पड़ा।

छिपाई गई जानकारी

होशियार सिंह का आरोप है कि, सरकार ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का खुलेआम इस्तेमाल किया। आरटीआई के ज़रिए मिली जानकारी के बाद उन्हें इसका पुख्ता सबूत मिला।

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उनका कहना है कि अगर सरकार समय रहते जानकारी उपलब्ध करवा देती, तो वे इसकी शिकायत सीधे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को करते। लेकिन ECI में शिकायत दर्ज करने की सीमा 45 दिन की होती है। जानकारी छिपाने की वजह से वे आयोग तक नहीं पहुंच पाए और अब न्याय की उम्मीद हाईकोर्ट से है।

विधानसभा में भी गूंज चुका मुद्दा

देहरा उपचुनाव से जुड़ा "कैश फॉर वोट" विवाद विधानसभा सत्र में कई बार उठ चुका है। विपक्षी विधायकों ने बार-बार सरकार से जवाब मांगा, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। मानसून सत्र के दौरान भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने सदन में यह मुद्दा उठाया था, लेकिन सरकार से सीधा जवाब नहीं मिल सका। बाद में विपक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

पहले गवर्नर से की थी शिकायत

इससे पहले होशियार सिंह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को भी शिकायत भेज चुके हैं। अपनी शिकायत में उन्होंने मांग की थी कि देहरा विधायक कमलेश ठाकुर को छह साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए। अब जब मामला हाईकोर्ट पहुंचने जा रहा है, तो प्रदेश भर की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी रहेंगी। अगर अदालत ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए, तो हिमाचल की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ सकता है।

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