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April 21, 2025

CM सुक्खू से बोले राहुल गांधी- हिमाचल में लागू करें "रोहित वेमुला कानून", जानें क्या होगा असर

पत्र लिखकर कानून बनाने को कहा

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Rahul Gandhi letter cm sukhu

शिमला। कर्नाटक के बाद हिमाचल प्रदेश में भी सुक्खू सरकार को राज्य में रोहित वेमुला कानून लागू करने को कहा गया है। इस बारे में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने CM सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखकर वंचित वर्गों को जातिवाद से बचाने के लिए इस कानून को अमल में लाने को कहा है। राहुल गांधी ने यही पत्र तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को भी लिखा है। 
इससे पहले उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को भी पत्र लिखकर कहा था कि राज्य में ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ लागू किया जाए। कर्नाटक, हिमाचल और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकारें हैा।

कौन थे रोहित वेमुला

दरअसल, कांग्रेस ने 2023 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुए अधिवेशन में यह संकल्प लिया था कि जहां भी वह सत्ता में आएगी, वहां अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘रोहित वेमुला कानून’ लेकर आएगी। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे रोहित वेमुला ने जनवरी, 2016 में कथित जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी।

 

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एक्स पर साझा किया पत्र

राहुल गांधी ने सुक्खू को 17 अप्रैल को पत्र लिखा है। राहुल ने यह चिट्ठी एक्स पर साझा की है, जिसमें कहा गया है कि जब तक हर छात्र को बिना भेदभाव के सम्मान, सुरक्षा और समान अवसर नहीं मिलेगा, तब तक हमारी शिक्षा व्यवस्था सभी के लिए न्यायपूर्ण नहीं हो सकती। पत्र में राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी हर बच्चे को शिक्षा तक समान पहुंच दिलाने और जातीय भेदभाव को खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राहुल का कहना है कि जातिगत भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्र-छात्राओं की जान ले ली। उन्होंने कहा कि अब इस अन्याय पर पूरी तरह से रोक लगाने का वक्त है।‌

 

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कर्नाटक में तैयार हो रहा है मसौदा

'रोहित वेमुला अधिनियम' एक प्रस्तावित कानून है, जिसका उद्देश्य भारत के शैक्षणिक संस्थानों में जाति, वर्ग, धर्म या सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर होने वाले भेदभाव को रोकना है। राहुल के सुझाव पर कर्नाटक सरकार इस कानून का मसौदा तैयार कर रही है। हिमाचल की सुक्खू सरकार को भी अपने राज्य में जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए शिक्षण संस्थानों को जातिवादी दमन से बचाने के लिए अलग से कानून तैयार करना होगा, जो कि राज्य की जरूरतों के मुताबिक हो।

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