#राजनीति

September 13, 2025

केरल में बोले मंत्री विक्रमादित्य: हिमाचल को हम 2040 तक बनाएंगे क्लाइमेट पॉजिटिव स्टेट

विक्रमादित्य सिंह ने अर्बन कॉन्क्लेव में लिया हिस्सा

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Vikramaditya Singh Urban Conclav

शिमला। हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बीते कल यानी शुक्रवार को केरल के कोच्चि में आयोजित अर्बन कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया। जहां कार्यक्रम के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने हिमाचल सरकार की “क्लाइमेट पॉजिटिव स्टेट 2040” की महत्वाकांक्षी योजना पर विस्तार से प्रकाश डाला।

हिमालय केवल प्राकृतिक धरोहर नहीं

जानकारी के अनुसार, विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश का लक्ष्य है कि वर्ष 2040 तक हिमाचल को जलवायु संवेदनशील राज्य बनाया जाए, ताकि 2047 तक इसे वैश्विक स्तर पर अग्रणी पर्वतीय विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।

 

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उन्होंने कहा कि हिमालय केवल प्राकृतिक धरोहर ही नहीं, बल्कि धैर्य और संतुलन की शिक्षा देने वाला जीवन-आधार है। इन्हीं मूल्यों के साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, समृद्ध और पर्यावरण के अनुकूल हिमाचल का निर्माण संभव होगा।

विज़न- ‘कल के पहाड़’

मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने ‘कल के पहाड़’ विज़न के तहत शहरी विकास का मॉडल पेश करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार विकास और संरक्षण के बीच संतुलन कायम करने की दिशा में काम कर रही है। तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई चुनौतियों को देखते हुए हिमाचल ने कई ठोस कदम उठाए हैं।

 

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उन्होंने जानकारी दी कि पिछले 100 सालों में प्रदेश का औसत तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है, जबकि 2023 और 2025 में आई अतिवृष्टि और आपदाओं ने जलवायु अनुकूलन की अनिवार्यता को और भी स्पष्ट कर दिया है।

इस दिशा में भी उठाए कदम

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, सरकार ने इस दिशा में क्लाइमेट इंटेलिजेंस नेटवर्क, ढलानों की जैव-इंजीनियरिंग से सुरक्षा, वर्षा जल संचयन, झरनों का पुनर्जीवन और आधुनिक जल प्रबंधन जैसे कदम उठाए हैं। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश ने 5,000 करोड़ रुपये के ग्रीन डेवलपमेंट फंड, कार्बन क्रेडिट से आय और पर्यटन आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जैसी योजनाएं शुरू की हैं।

विकास पर ध्यान केंद्रित

मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार न सिर्फ जलवायु और विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बल्कि मंदिरों, वनों और पारंपरिक शिल्पकला को भी संरक्षित करने के लिए काम कर रही है, ताकि हिमाचल की सांस्कृतिक पहचान और धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।

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