#राजनीति
July 5, 2025
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने NHAI के खिलाफ छेड़ा जन आंदोलन, किया #JusticeForHimachal अभियान का ऐलान
अनिरुद्ध सिंह ने साझा किया अपना व्हाट्सएप नंबर
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में फोरलेन निर्माण को लेकर मचे बवाल के बीच अब राज्य के कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है। हाल ही में शिमला के भट्टाकुफर में एक पांच मंजिला इमारत के ढहने के बाद पैदा हुए विवाद और NHAI अधिकारी से कथित मारपीट के आरोपों के बीच मंत्री ने अब ‘#JusticeForHimachal’ नाम से अभियान शुरू कर दिया है।
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि हिमाचल की प्राकृतिक धरोहर और आम लोगों का जीवन खतरे में है। एनएचएआई और उसके ठेकेदारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अवैज्ञानिक खुदाई, अवैध डंपिंग और निर्माण में लापरवाही के चलते राज्य की ज़मीन खिसक रही है और लोग बेघर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "अब वक्त आ गया है कि हम सब मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाएं। यह लड़ाई हमारे घरों, हमारे पहाड़ों और हमारी मातृभूमि के लिए है।"
मंत्री ने जनता से अपील की है कि वे अपने क्षेत्र में हो रही अनियमितताओं और नुकसान की जानकारी उन्हें भेजें ताकि प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके और जिम्मेदारों को कटघरे में लाया जा सके। उन्होंने जनता से कहा है कि वे निम्न जानकारियां साझा करें:
इस जानकारी के लिए उन्होंने एक व्हाट्सएप नंबर +91 86279 22410 और ईमेल आईडी [office@anirudhsingh.com](mailto:office@anirudhsingh.com) भी जारी की है।
यह पूरा मामला 30 जून को शिमला के भट्टाकुफर में एक पांच मंजिला इमारत के गिरने के बाद शुरू हुआ था। घटनास्थल पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह और NHAI मैनेजर अचल जिंदल के बीच कथित तौर पर तीखी बहस हुई।
आरोप है कि मंत्री ने गुस्से में आकर कमरे में रखे एक घड़े से अधिकारी के सिर पर वार कर दिया। इसके बाद मंत्री के खिलाफ केस दर्ज हुआ, वहीं अचल जिंदल पर भी दो अलग-अलग शिकायतें स्थानीय लोगों ने दर्ज करवाईं।
घटना के तूल पकड़ने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मामले को गंभीरता से लिया और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली। इसके बाद यह विवाद राजनीतिक रूप से और गर्मा गया। बहरहाल, अब जबकि कैबिनेट मंत्री स्वयं जनआंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं और जनता से समर्थन मांग रहे हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस विषय पर आगे क्या रुख बनता है। हिमाचल की सड़कों और पहाड़ों की सुरक्षा को लेकर यह एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।