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January 10, 2025

सुक्खू सरकार ने  फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी से किया MOU, 900 करोड़ का

आपदा से पार पाने की पहल

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Himachal Govt Sign Mou

शिमला। हिमाचल की कांग्रेस सरकार आपदा से निपटने के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। इसके लिए हिमाचल की सुक्खू सरकार ने फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी के साथ एमओयू साइन किया है। इस एमओयू के साइन करने से सरकार को अब आने वाले समय में आपदा, जोखिम और आपदा से निपटने में काफी मदद होगी।

फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी से किया एमओयू

दरअसल आज शिमला में प्रदेश सचिवालय में हिमाचल सरकार और फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी के बीच हिमाचल प्रदेश.आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं तैयारी परियोजना पर समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन के अनुसार अब आने वाले समय में प्रदेश के हर जिला में आपदा से निपटने के लिए इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर खोले जाएंगे।

 

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आपदा से पार पाने की पहल

इसके साथ ही हिमालय सेंटर फॉर डिजास्टर रिस्क डिटेक्शन स्थापित किया जाएगा। वहीं भूस्खलन को रोकने के लिए बायो इंजीनियरिंग नर्सरी लगाने के अलावा जंगल में आग को रोकने के लिए फायर स्टेशन सेटअप करने के साथ हेलीपैड सेटअप करना है। साथ ही पालमपुर में एसडीआरएफ को भी स्थापित किया जाएगा। सुक्खू सरकार के इस समझौता ज्ञापन के साइन होने से अब आने वाले समय में अगर आपदा आती है तो उससे निपटने में काफी मदद मिलेगी।

 

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क्या बोले एसीएस राजस्व ओंकार शर्मा

मामले की जानकारी देते हुए एसीएस राजस्व ओंकार शर्मा ने बताया कि परियोजना के तहत फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी से 900 करोड़ के द्विपक्षीय वित्त समझौता के साथ सरकार एवं समुदायों की आपदा जोखिम प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन अनुकूलन क्षमता को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित रहेगा।

आपदा के खतरे को कम करने पर होगा काम

ओंकार शर्मा ने बताया कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की प्रमुख परियोजना है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य हिमाचल को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले खतरे को कम करना और इसके लिए दीर्घकालिक तैयारी को सुनिश्चित करना है। इसके तहत हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आपदाओं से समय रहते निपटने पर काम किया जाएगा।


एसीएस राजस्व ओंकार शर्मा ने बताया कि हिमाचल सरकार फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तनों का असेस्मेंट के अलावा अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करेगी। इसके अलावा फॉरकास्टिंग को एक्यूरेट करने पर ध्यान केंद्रीत किया जाएगा। ताकि बागवानों, किसानों को इसका लाभ मिल सके।  उन्होंने बताया कि हिमाचल में लगभग भूस्खलन के 16.17 हजार प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं, इनको नियंत्रित करने का काम किया जाएगा।

 

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