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August 3, 2025

लॉटरी योजना पर अनुराग ने घेरी सुक्खू सरकार, बोले-आम जनता की जेब में डाका डालने की तैयारी

लॉटरी से कमजोर वर्ग का बढ़ेगा आर्थिक संकट

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anurag thakur comment sukhu

शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा राज्य में दोबारा लॉटरी प्रणाली शुरू करने के निर्णय पर सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने इस फैसले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार प्रदेश को आर्थिक बदहाली की ओर धकेलने के बाद अब लॉटरी के ज़रिए आम जनता की जेब पर डाका डालने की तैयारी कर रही है।

कमजोर वर्ग के लिए लॉटरी खतरनाक

अनुराग ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार का यह कदम हिमाचल की भोली.भाली जनता को गुमराह करने वाला है। लॉटरी जैसी व्यवस्था को पुनः लागू करना न केवल आर्थिक रूप से खतरनाक है बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों को और अधिक संकट में डाल देगा। पहले ही प्रदेश कर्ज़ के बोझ तले दबा है और अब इस तरह के निर्णय जनता के लिए और मुसीबतें खड़ी करेंगे।

 

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उन्होंने दावा किया कि प्रदेश पहले ही एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूब चुका है और सरकार के पास कोई ठोस आर्थिक नीति नहीं है। राजकोषीय घाटा पाटने के लिए अब सरकार जनता को लुभावनी लॉटरी योजनाओं के जाल में फंसा रही है।

वीरभद्र सिंह ने भी लगाया था प्रतिबंध

विपक्ष का आरोप है कि लॉटरी प्रणाली पहले भी हिमाचल में सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का कारण बनी थी। 1999 में भाजपा सरकार ने इसके दुष्परिणामों को देखते हुए लॉटरी सिस्टम को पूरी तरह बंद कर दिया था। हालांकि 2004 में कांग्रेस की सरकार ने इसे फिर शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

 

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युवाओं को भटकाएगी लॉटरी

अब एक बार फिर मौजूदा कांग्रेस सरकार द्वारा इस प्रणाली को बहाल करना, विपक्ष के अनुसार एक जनविरोधी और अदूरदर्शी फैसला है। अनुराग ठाकुर ने चेतावनी दी कि इससे न केवल युवा भ्रमित होंगे, बल्कि यह उन्हें रोजगार की दिशा से भटकाकर गलत मार्ग पर धकेल सकता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को नौकरी देने की बजाय सरकार उन्हें लॉटरी खरीदने और बेचने में लगा रही है। इससे उनके भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

 

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कांग्रेस सरकार की गले की हड्डी बनी लॉटरी

यह सवाल अब प्रदेश की राजनीति के केंद्र में है। एक ओर जहां सरकार इस कदम को आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे आम लोगों के साथ धोखा और आर्थिक लूट का तरीका मान रहा है। जनता की नजर अब सुक्खू सरकार की अगली चाल पर टिकी है।  क्या सरकार विपक्ष के दबाव में यह निर्णय वापस लेगी या फिर किसी नए प्रारूप में इस योजना को लागू करेगी।

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