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April 29, 2025

हिमाचल कांग्रेस की खस्ता हालत : संविधान बचाओ रैली के लिए नहीं जुट रही भीड़, जानें क्यों

1 मई को बिलासपुर से होगा आगाज

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Himachal Congress Rally

शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का संगठन भंग होने का खामियाजा अब जमीन पर साफ नजर आ रहा है। आगामी 1 मई से शुरू हो रही पार्टी की संविधान बचाओ रैली के लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ नहीं जुट पा रही है। रैली का उद्घाटन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह बिलासपुर से करेंगी।

हिमाचल कांग्रेस की खस्ता हालत

भीड़ न जुट पाने की सबसे बड़ी वजह बीते 6 महीने से कांग्रेस पार्टी के संगठन का भंग होना है। पार्टी के आम कार्यकर्ता के मिजाज ठंडे पड़े हुए हैं और सत्ता ही नहीं, बल्कि संगठन का भी उनसे संपर्क लगभग नहीं के बराबर है।

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आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी शिमला के चौड़ा मैदान पर राज्यस्तरीय संविधान बचाओ रैली करने वाली थी। इसकी अगुवाई प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल करने वाली थीं। लेकिन पहलगाम हमले के बाद देशवासियों की संवेदनाओं को देखते हुए रैली स्थगित कर दी गई।

कांग्रेस में जिलाध्यक्ष भी नहीं

रजनी पाटिल के दौरे के समय ही पार्टी के जिलाध्यक्षों के ऐलान की भी संभावना जताई जा रही थी, लेकिन वह भी नहीं किया गया है। अब चूंकि पार्टी को राज्य के हर जिले में संविधान बचाओ रैली आयोजित करनी है, सो इसके लिए कार्यकर्ताओं का जुटाने का काम सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। अगर जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया गया होता तो उनकी जिम्मेदारी में कुछ कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम स्थल तक लाया जा सकता था।

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NSUI को मिली जिम्मेदारी

बताया जा रहा है कि बिलासपुर की रैली के लिए पार्टी ने एनएसयूआई को भीड़ बटोरने की जिम्मेदारी दी है। 1 मई को बिलासपुर में प्रतिभा सिंह कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग भी करेंगी। इससे पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष के सामने अपनी शिकायतें रखी थीं।

 

उनकी शिकायत सुक्खू सरकार से है। उनका कहना है कि सरकार पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है। उनकी शिकायत को प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस आलाकमान के सामने भी रखा था1 लेकिन इन शिकायतों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

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अयोजन के फेल होने का खतरा

कांग्रेस को पहले जिला स्तर पर संविधान बचाओ रैलियां आयोजित करनी है। उसके बाद विधानसभा स्तर पर और आखिर में घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में बताना है। सूत्रों का कहना है कि अगर जिला स्तर पर रैलियों में भीड़ नहीं जुट पाती है तो विधानसभा और घर-घर के स्तर पर पार्टी के इस अभियान के फेल होने का खतरा है।

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