#राजनीति
March 21, 2025
हिमाचल: विमल नेगी मामले में BJP ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, CBI जांच की उठाई मांग
भाजपा ने खोला सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर दिवंगत विमल नेगी की संदिग्ध मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भाजपा ने इस मामले में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है। शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मुलाकात कर इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग रखी।
भाजपा नेताओं ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में सवाल उठाया कि जब मामले में प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (एचपीपीसीएल) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक (एमडी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, तो फिर जांच किसी एक पद के खिलाफ कैसे की जा सकती है?
उन्होंने यह भी कहा कि एक आईएएस अधिकारी की जांच अगर दूसरा आईएएस अधिकारी करेगा, तो निष्पक्षता पर संदेह बना रहेगा। भाजपा ने मांग की कि इस मामले में नामजद अधिकारियों को स्पष्ट रूप से एफआईआर में शामिल किया जाए और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई को इसकी जिम्मेदारी दी जाए।
भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल के समक्ष विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि नेगी कई दिनों से लापता थे, लेकिन परिवार की शिकायत के बावजूद समय पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई और न ही उन्हें खोजने के लिए कोई ठोस प्रयास किया गया। 18 मार्च को उनका शव गोविंद सागर झील में बरामद हुआ, जिससे यह मामला और अधिक गंभीर हो गया।
19 मार्च को एचपीपीसीएल के कर्मचारियों और विमल नेगी के परिजनों ने इस मौत के लिए प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा और निदेशक देशराज को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये अधिकारी विमल नेगी पर गलत कार्यों के लिए दबाव बना रहे थे, जिसके चलते वह मानसिक तनाव में थे।
इसी तनाव के कारण उन्हें यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। भाजपा ने सरकार से मांग की कि दोनों अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो।
भाजपा नेताओं ने कहा कि सरकार इस मामले में टालमटोल का रवैया अपना रही है। पहले परिजनों की मांगों को अनदेखा किया गया, जिसके चलते गुस्साए परिजनों और एचपीपीसीएल के कर्मचारियों ने शव को कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन किया और अंतिम संस्कार न करने की चेतावनी दी। इसके बाद सरकार हरकत में आई और निदेशक को निलंबित किया, लेकिन एमडी को केवल पद से हटाने का निर्णय लिया गया। जब परिजन फिर भी नहीं माने, तो आखिरकार एफआईआर दर्ज की गई।
भाजपा विधायक दल ने सरकार पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा कि जब किसी आईएएस अधिकारी पर आरोप लगे हों, तो उसकी जांच भी किसी दूसरे आईएएस अधिकारी से करवाने से निष्पक्षता पर सवाल खड़े होंगे।
भाजपा ने मांग की कि एफआईआर में दूसरे अधिकारी का नाम भी जोड़ा जाए और इस घटना के अलावा बीते दो वर्षों में एचपीपीसीएल में हुई सभी गतिविधियों की जांच सीबीआई से करवाई जाए।
भाजपा इस मामले को लेकर आगे की रणनीति तय करने के लिए शुक्रवार शाम एक बैठक आयोजित करेगी। इस बैठक की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश भाजपा प्रभारी श्रीकांत शर्मा करेंगे और यह चौड़ा मैदान स्थित विलेज पार्क में होगी। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई पर विचार-विमर्श करेंगे।