#राजनीति
July 17, 2025
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ बिंदल, MLA सुखराम को हाईकोर्ट से मिली राहत, जानें क्या है मामला
हाईकोर्ट ने जांच में सहयोग की शर्त पर दोनों को दी जमानत
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में विपक्षी दल भाजपा के लिए बुधवार का दिन बड़ी राहत लेकर आया, जब प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल और पांवटा साहिब से भाजपा विधायक सुखराम चौधरी को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से नियमित जमानत मिल गई। न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की अदालत ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि दोनों नेता जांच में पूरा सहयोग करेंगे। यह आदेश उस समय आया, जब अदालत ने 8 जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यह मामला सिरमौर जिला के माजरा थाना क्षेत्र में बीते माह हुई एक रैली और धरना प्रदर्शन से जुड़ा है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की जगह लागू किए गए नए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा-163 का उल्लंघन हुआ था। पुलिस का आरोप है कि डॉ बिंदल के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग प्रतिबंधित क्षेत्र में एकत्रित हुए और प्रदर्शन किया, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति पर असर पड़ा।
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घटना की जड़ें 13 जून की उस घटना में हैं, जब माजरा थाना क्षेत्र में एक युवती के कथित अपहरण के बाद इलाके में तनावपूर्ण माहौल बन गया था। मामला दो समुदायों से जुड़ा होने के कारण प्रशासन ने एहतियातन धारा.163 लगाकर पांच गांवों को निषेधाज्ञा क्षेत्र घोषित कर दिया था। इसके तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदी थी।
इसके बावजूद 14 जून को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल और विधायक सुखराम चौधरी की अगुवाई में बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया और धरना दिया। इस दौरान पुलिस ने चेतावनी देने के बावजूद प्रदर्शनकारियों को हटाया नहीं, जिसके चलते माजरा थाने में नेताओं समेत 50 अन्य लोगों के खिलाफ बीएनएस की धाराओं 163, 299, 132, 191(2), 191(3), 190, 351(2), 115(2), 121(1) और 109 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में गर्मी पैदा कर दी थी। भाजपा ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताया, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की कार्रवाई को उचित ठहराया। डॉ बिंदल और सुखराम चौधरी ने इसके बाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की। 17 जून को अदालत ने अंतरिम राहत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और मामले की सुनवाई के दौरान दंडात्मक कार्रवाई पर भी रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
अब हाईकोर्ट के अंतिम फैसले में दोनों नेताओं को नियमित जमानत मिल गई है, जिससे भाजपा को कानूनी तौर पर बड़ी राहत मिली है। अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि दोनों नेताओं को जांच में सहयोग देना होगा।
भाजपा ने हाईकोर्ट के इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर कार्रवाई कर रही थी। पार्टी ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस तरह के राजनीतिक दमन को तुरंत रोके और जनआक्रोश को अपराध मानने की बजाय उसके समाधान पर ध्यान दे।