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June 1, 2025
विमल नेगी मामला, CM बोले-नेता विपक्ष को 'राजनीतिक फोबिया'; जयराम ने सुक्खू से मांगा इस्तीफा
विमल नेगी मामले में सरकार और विपक्ष आमने सामने, गहराया राजनीति टकराव
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी की मौत को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बीच बयानबाजी ने इस मामले को सिर्फ एक आपराधिक जांच का विषय नहीं रहने दिया, बल्कि अब यह एक व्यापक राजनीतिक विमर्श और सत्ता.पक्ष के नियंत्रण की परीक्षा बन चुका है।
जहां एक ओर मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस दुखद घटना पर सरकार की संवेदनशीलता जताई और निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी के गठन, एफआईआर दर्ज करने और अब सीबीआई जांच को लेकर अपने रुख को दोहराया, वहीं दूसरी ओर जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल है और सरकार के पास प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष पर राजनीतिक फोबिया से ग्रसित होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर बिना ठोस तथ्यों के विमल नेगी मौत मामले में बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि सरकार शुरू से ही परिवार के साथ खड़ी रही है और जांच प्रक्रिया को पारदर्शी रखा गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि विपक्ष के पास कोई दस्तावेज या साक्ष्य हैं तो वह उन्हें सीबीआई को सौंपें, न कि मीडिया मंच से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करें।
सुक्खू ने एसआईटी जांच को भी उचित ठहराया और कहा कि उसकी रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई है, जिससे सरकार की नीयत पर कोई सवाल नहीं उठता। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार सीबीआई को पूरा सहयोग देगी।
दूसरी ओर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि हिमाचल की वर्तमान सरकार अपने ही अधिकारियों और मंत्रियों पर नियंत्रण खो चुकी है। उन्होंने सीधा सवाल उठाया कि जब मुख्यमंत्री सीबीआई जांच का स्वागत करते हैं तो फिर एसपी शिमला संजीव गांधी उच्च न्यायालय में एलपीए क्यों दायर करते हैं ?
उन्होंने संजीव गांधी की याचिका को व्यक्तिगत बताने के सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि जब यह याचिका एडवोकेट जनरल की कानूनी सलाह पर और एसपी के पद का प्रयोग करते हुए दायर हुई है, तो इसे व्यक्तिगत कैसे माना जा सकता है? जयराम ने आरोप लगाया कि सरकार सीबीआई जांच से डर रही है और साक्ष्य छिपाने की कोशिशें हो रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह पूरा मामला हिमाचल की वर्तमान सत्ता.संरचना पर विश्वास की परीक्षा बन गया है। विमल नेगी की मौत ने संवेदनशीलता और जवाबदेही जैसे मुद्दों को सरकार और विपक्ष दोनों के लिए चुनौती बना दिया है। सुक्खू सरकार, जो खुद को पारदर्शी और संवेदनशील साबित करने की कोशिश में है, उसके कदमों पर अब सीबीआई जांच की निगरानी होगी, जिससे प्रशासनिक निर्णयों की परतें खुल सकती हैं।
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वहीं भाजपा इस पूरे प्रकरण को सरकार की असफलता के रूप में प्रस्तुत करने की रणनीति पर काम कर रही है। जयराम ठाकुर ने इस प्रकरण को केवल कानून व्यवस्था से जोड़कर नहीं देखा, बल्कि इसे सत्ता में 'नैतिक दिवालियापन' के संकेत के रूप में पेश किया है, जिससे सरकार की साख पर आंच आती है।