#राजनीति
September 15, 2025
CM सुक्खू की हरियाणा-पंजाब से नाराजगी, बोले छोटे भाई की तरह सहयोग करें पड़ोसी
समाप्त हो चुकी है 99 साल की लीज
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शिमला। हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर फिर से पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा की सरकार से नाराजगी जताई है। CM सुक्खू कहा है कि अपने हक की लड़ाई बार-बार अदालतों में लड़ने को मजबूर हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि, हरियाणा-पंजाब दोनों पड़ोसी हिमाचल का छोटे भाई की तरह सहयोग करें।
बकौल CM सुक्खू, शानन पावर प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज समाप्त हो चुकी है, लेकिन पंजाब सरकार अब भी इस परियोजना को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री का कहना है कि यह सिर्फ शानन परियोजना का मामला ही नहीं है, बल्कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा के कारण हिमाचल प्रदेश को बीबीएमबी से मिलने वाली बकाया राशि भी अब तक नहीं मिल पाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शांतिप्रिय राज्य है और पड़ोसी राज्यों से भाईचारे की भावना रखता है, लेकिन जब-जब अधिकारों पर अतिक्रमण होगा, प्रदेश मजबूरी में कानूनी लड़ाई लड़ेगा। यह केवल हिमाचल का आर्थिक हक नहीं बल्कि प्रदेश की भावी ऊर्जा सुरक्षा से भी जुड़ा सवाल है।
राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन के समापन सत्र में बोलते हुए सुक्खू ने कहा कि हिमाचल को सुप्रीम कोर्ट से 2011 में बड़ी राहत मिली थी। अदालत ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) की परियोजनाओं में हिमाचल की 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी तय की थी और साथ ही 27 सितंबर 2011 से पहले का करीब 4200 करोड़ रुपये एरियर के रूप में चुकाने के आदेश भी दिए थे। लेकिन 14 साल गुजरने के बाद भी यह पैसा हिमाचल को नहीं मिल सका।
उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार बार-बार इस मुद्दे को अलग-अलग मंचों पर उठा चुकी है, चाहे वह उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का मौका हो या फिर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से बातचीत।
इसके बावजूद एरियर की राशि हिमाचल को अब तक नहीं मिल पाई है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे बड़े राज्यों को छोटे भाई हिमाचल का साथ देना चाहिए, लेकिन इसके उलट वे बाधाएं खड़ी कर रहे हैं।
इसी क्रम में शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट का मामला भी तूल पकड़ रहा है। यह प्रोजेक्ट ब्रिटिश शासन के दौरान 99 साल की लीज पर पंजाब सरकार को दिया गया था, जिसकी अवधि इसी साल अप्रैल में समाप्त हो गई। नियमों के अनुसार परियोजना का स्वामित्व अब हिमाचल को मिलना चाहिए, मगर पंजाब इसे छोड़ने को तैयार नहीं है। परिणामस्वरूप इस मुद्दे को भी अब सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है।