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September 23, 2025
हिमाचल युग केस : HC के फैसले से पिता नाखुश- बोले, 11 साल बाद भी नहीं मिला मेरे बच्चे को इंसाफ
लोअर कोर्ट ने युग के दोषियों को दी थी फां*सी की सजा
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने मामले में दोषी पाए गए दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है और तीसरे आरोपी को बरी कर दिया है।
हाईकोर्ट के फैसले पर युग के परिवार ने नाराजगी जताई है। युग के परिजन और माता-पिता हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश हैं। उनका कहना है कि हाईकोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। जबकि, दोषियों को बहुत पहले ही फांसी दे देनी चाहिए थी।
युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि 11 साल बाद भी उनके बच्चे को इंसाफ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि अब वो सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाएंगे। युग के दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए ना कि उम्रकैद की। उन्होंने कहा कि वो अपने बच्चे को न्याय दिलवा कर रहेंगे और उसके दोषियों को फांसी की सजा जरूर दिलाएंगे।
विदित रहे कि, अदालत ने दोषियों की अपील पर आज अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, अब दो दोषी पूरी उम्र सलाखों के पीछे रहेंगे। मामले से जुड़े तीसरे आरोपी को बरी कर दिया गया है।
आपतो बता दें कि न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की विशेष खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के बाद फैसले को रिजर्व रख दिया था। लोअर कोर्ट ने मामले में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
सजा के पुष्टिकरण के लिए मामला हाईकोर्ट आया था। अब इस पर फैसला सुनाया गया है। हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, आरोपी चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी पूरी उम्र जेल में रहेंगे। जबकि तेजिंदर पाल को बरी कर दिया गया है।
यह मामला प्रदेश में उस समय सुर्खियों में आया था जब 4 वर्षीय मासूम युग की निर्मम हत्या ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था। 14 जून 2014 को शिमला के रामबाजार क्षेत्र से युग का अपहरण किया गया था। बाद में सामने आया कि युग को अगवा करने वाले उसके अपने ही पड़ोसी थे चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी थे। अपहरण के बाद इन दरिंदों ने युग के पिता से 3.5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी।
फिरौती नहीं मिलने पर उन्होंने युग के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा ही एक जलभराव टैंक में फेंक दिया था। यह टैंक भराड़ी इलाके में स्थित था, जहां से दो साल बाद अगस्त 2016 में युग का कंकाल बरामद हुआ।
इस हृदयविदारक घटना की जांच राज्य CID ने की। 25 अक्टूबर 2016 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई और 20 फरवरी 2017 से मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई। इस केस में कुल 135 गवाहों में से 105 ने अदालत में बयान दिए। न्यायिक प्रक्रिया पूरी कर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 6 सितंबर 2018 को तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।
न्यायाधीश विरेंद्र सिंह ने इस हत्याकांड को दुर्लभतम में दुर्लभ श्रेणी में रखते हुए फांसी की सजा तय की थी। यह फैसला साढ़े 10 महीनों के भीतर आ गया था, जो न्यायिक प्रक्रिया में अपेक्षाकृत तेज माना जाता है।
इस घटना के बाद शिमला ही नहीं, पूरे हिमाचल प्रदेश में आक्रोश की लहर दौड़ गई थी। जगह-जगह लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर युग को न्याय दिलाने की मांग की। इस मामले ने कानून व्यवस्था, समाजिक चेतना और मानवता को गहरे स्तर पर प्रभावित किया।
अब हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने फांसी की सजा की पुष्टि और दोषियों की अपील दोनों पर सुनवाई पूरी कर ली है। यह निर्णय केवल युग के परिवार ही नहीं, पूरे समाज के लिए न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगा।