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July 17, 2025

हिमाचल में दो सगे भाइयों ने एक ही लड़की से की शादी, हर तरफ हो रही चर्चा- उठ रहे कई सवाल

कोई कह रहा परंपरा- किसो की गलत लग रहा ऐसा करना

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Sirmaur Marriage

सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले से एक अनोखी खबर सामने आई है। शिलाई उपमंडल का एक गांव अनोखी शादी के लिए चर्चा में आ गया है। दरअसल, यहां पर दो सगे भाइयों ने एक ही लड़की से शादी की है।

दो सगे भाइयों की एक ही दुल्हन

दोनों भाइयों ने ये शादी आपसी सहमति और परिवार की रजामंदी से की है। भाइयों ने यह शादी बहुत धूमधाम से और पूरे रीति-रिवाज के साथ की है। यह शादी सिर्फ इलाके में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है।

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जिला सिरमौर के तहत आते शिलाई गांव के प्रतिष्ठित थिंडू खानदान से संबंध रखने वाले बलदेव सिंह नेगी व बिला देवी ने बताया कि, उन्होंने अपने दोनों बेटों प्रदीप नेगी और कपिल नेगी का विवाह कुन्हट गांव की सुनीता के साथ पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न करवाया। उन्होंने यह भी बताया कि, यह विवाह हाटी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। जहां आज भी हमारी पुरानी परंपराएं और रीति-रिवाज पूरी श्रद्धा से निभाए जाते हैं, जो हमारी आदिम पहचान को बनाए रखने में सहायक हैं।

धूमधाम से रचाई शादी

आपको बता दें कि दोनों भाइयों की ये शादी बड़े धूमधाम से हुई है। शादी के फंक्शन 12 जुलाई से लेकर 14 जुलाई तक चले- जिसमें खूब ढोल-नगाड़ों से रौनक लगी रही। शादी के आखिरी दिन दोनों भाई दूल्हे बने हुए अपनी दुल्हन के साथ एक साथ स्टेज पर नजर आए। 

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

इस अनोखी शादी की कुछ वीडियोज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस शादी में परिवार, रिश्तेदारों के साथ-साथ गांव के भी काफी लोग शामिल हुए। सभी लोगों ने इस शादी का खूब आनंद लिया। 

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भाइयों ने निभाई पुरानी परंपरा

भाइयों का मानना है कि उन्होंने अपने क्षेत्र की पुरानी परंपरा को निभाया है। उनका कहना है कि शादी के बारे में जानकर लोग हैरान हो रहे हैं। मगर गिरिपार क्षेत्र में बहुपति विवाह कोई नई बात नहीं है। पुराने समय में एक ही महिला की कई लोगों से शादी करवाने की परंपरा था। जिसके तहत दो-चार भाई एक ही लड़की से शादी करते थे-वही हमने भी किया।

जमीन के टुकड़े ना बंटें

खासकर पुराने समय में जब संसाधन सीमित थे और जमीन के टुकड़े ना बंटें, इसलिए भाई मिलकर एक ही पत्नी से विवाह करते थे। यह परंपरा आज भी कुछ गांवों में सांस्कृतिक रूप से जिंदा है, जिसे कई लोग निभा रहे हैं। ऐसी ही परंपरा किन्नौर जिले में आज भी निभाई जाती है- जिसे पांडव प्रथा कहा जाता है।

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स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, यह प्रथा सदियों पुरानी है और इसका मूल उद्देश्य परिवार की एकता और कृषि योग्य भूमि की रक्षा था। आज के समय में यह परंपरा लगभग समाप्ति की कगार पर है, लेकिन जब कभी ऐसा विवाह सामने आता है, तो पुरानी परंपराएं और सामाजिक सोच फिर से चर्चा में आ जाती हैं।

चर्चा का विषय बनी शादी

वहीं, इस अनोखी शादी को लेकर गांव में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक वर्ग इसे 'परंपरा की जीवित मिसाल' मान रहा है, वहीं कुछ लोग आधुनिक कानूनों और सामाजिक संरचना के सापेक्ष इसे असामान्य भी मान रहे हैं। हालांकि, पंचायत स्तर पर इस विवाह को लेकर कोई विरोध नहीं जताया गया है। लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

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