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November 4, 2025
सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला: नई पंचायतों के गठन पर लगाई रोक, क्या अब समय पर होंगे चुनाव ?
सुक्खू सरकार अब पंचायतों का सिर्फ पुनर्गठन ही करेगी, आयोग ने शुरू की चुनाव तैयारियां
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों से पहले नई पंचायतों का गठन नहीं किया जाएगा। सुक्खू सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में फिलहाल नई पंचायतें बनाने के बजाय केवल मौजूदा पंचायतों का पुनर्गठन किया जाएगा। पंचायत क्षेत्रों की सीमाओं में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे, लेकिन पंचायतों की कुल संख्या में कोई इज़ाफ़ा नहीं होगा।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि सरकार ने वित्तीय और प्रशासनिक दृष्टि से यह निर्णय लिया है, ताकि प्रदेश पर अतिरिक्त बोझ न बढ़े। उन्होंने बताया कि नई पंचायत बनाने पर औसतन 1.20 करोड़ रुपये सालाना खर्च आता है, जबकि पंचायतों की आय सीमित है। ऐसे में नई पंचायतों के गठन के लिए आए 750 से अधिक प्रस्तावों को रद्द कर दिया गया है।
प्रदेश में करीब 80 पंचायतें ऐसी हैं जहां पुनर्गठन की प्रक्रिया जारी है। इसमें कुछ वार्डों या क्षेत्रों को समीपवर्ती पंचायतों में मिलाया जाएगा, ताकि लोगों को प्रशासनिक सुविधाएं आसानी से मिल सकें। पंचायती राज विभाग ने सभी जिला उपायुक्तों और खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लंबित पुनर्गठन प्रस्तावों का निपटारा 15 नवंबर तक कर लिया जाए।
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राज्य में फिलहाल पंचायतों की कुल संख्या 3,577 है, जो पहले 3,615 थी। नए नगर निगमों और नगर पंचायतों के गठन से 42 पंचायतें घटाई गईं, जबकि योल कैंट क्षेत्र में चार नई पंचायतों के गठन से मामूली बदलाव आया। दस नए ब्लॉक बनने के बाद प्रदेश में कुल 91 विकास खंड हो गए हैं, जिससे 25 ब्लॉक की सीमाओं और पंचायतों में भी फेरबदल हुआ है।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस निर्णय को राज्य के वित्तीय अनुशासन से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार संसाधनों के बेहतर उपयोग पर ध्यान दे रही है, न कि केवल राजनीतिक दबावों में नई इकाइयां बनाने पर। हर नई पंचायत के साथ अतिरिक्त स्टाफ, भवन और विकास कार्यों का खर्च जुड़ता है। ऐसे में मौजूदा संसाधनों के भीतर ही बेहतर प्रशासन देना सरकार की प्राथमिकता है।
उधर, राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पंचायत और शहरी निकाय चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आयोग ने सहायक निर्वाचन अधिकारी, पीठासीन अधिकारी और मतदान अधिकारियों की नियुक्ति के निर्देश जारी कर दिए हैं और सभी जिलों से सूची मांगी है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि पुनर्गठन प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती, तो चुनाव पुरानी सीमाओं के आधार पर कराए जाएंगे, क्योंकि तय समय पर चुनाव करवाना आयोग की संवैधानिक बाध्यता है। आयोग ने संकेत दिए हैं कि वह जनवरी में ही पंचायत चुनाव करवाने के लिए तैयार है।
राजनीतिक तौर पर यह फैसला सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के लिए रणनीतिक माना जा रहा है। नई पंचायतों के गठन को लेकर कई क्षेत्रों से राजनीतिक दबाव था, लेकिन सुक्खू सरकार ने आर्थिक स्थिति और प्रशासनिक जटिलताओं का हवाला देकर इससे किनारा कर लिया। विपक्ष की ओर से इसे जनभावनाओं की अनदेखी कहा जा रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि जनहित में व्यावहारिक निर्णय लिया गया है।