#विविध
May 26, 2025
नहीं टूटेगी संजौली मस्जिद, सेशन कोर्ट ने लगाई रोक- अब 29 को होगी अलगी सुनवाई
नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद की निचली दो मंजिलों गिराने का आदेश जारी किया था
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद प्रकरण में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। शिमला के सेशन कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री द्वारा मस्जिद को गिराने के दिए गए आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह आदेश वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया है।
वक्फ बोर्ड के एडवोकेट वीएस ठाकुर के अनुसार, उन्होंने सेशन कोर्ट में मस्जिद गिराने के निगम आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने तात्कालिक सुनवाई करते हुए 29 मई तक स्टे दे दिया है और शिमला नगर निगम को अपना पक्ष रखने के लिए जवाब दाखिल करने को कहा है। यह मामला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज युजुविंदर सिंह की अदालत में सुना गया। कोर्ट इस सुनवाई के दौरान देवभूमि संघर्ष समिति की कैविएट को खारिज करने जा रही थी, जिसे समिति ने खुद ही वापस ले लिया।
नगर निगम आयुक्त ने 3 मई 2025 को मस्जिद की निचली दो मंजिलों को अवैध करार देते हुए गिराने का आदेश जारी किया था। इससे पहले 5 अक्टूबर 2024 को ऊपरी तीन मंजिलें तोड़ने के आदेश दिए जा चुके थे।
आयुक्त का कहना है कि वक्फ बोर्ड को बार-बार मौक़ा दिया गया कि वे जमीन के मालिकाना हक़ और मस्जिद निर्माण की अनुमति से जुड़े दस्तावेज़ पेश करें, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ना तो नक्शा, ना ही NOC मस्जिद कमेटी ने निगम कोर्ट को दी।
संजौली मस्जिद का यह मामला पिछले 16 वर्षों से नगर निगम की अदालत में लंबित था। 50 से ज़्यादा सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के दखल के चलते निगम आयुक्त को 3 मई 2025 तक फैसला देने का निर्देश मिला, जिसके बाद यह आदेश जारी हुआ।
31 अगस्त 2024 को मेहली में दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद संजौली मस्जिद में कुछ लोग छिप गए। इससे आक्रोशित होकर 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ और फिर पूरे प्रदेश में हिंदू संगठनों ने उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया।
11 सितंबर को संजौली में माहौल तनावपूर्ण हुआ, लाठीचार्ज और पानी की बौछारों के बीच मस्जिद कमेटी खुद निगम कोर्ट पहुंची और अवैध हिस्से को तोड़ने की पेशकश की। इससे विवाद कुछ समय के लिए शांत हो गया।
हिंदू संगठनों और स्थानीय रेज़िडेंट्स का आरोप है कि मस्जिद बिना वैध अनुमति के बनी है, ज़मीन वक्फ बोर्ड की नहीं है, और पूरे निर्माण पर कोई सरकारी स्वीकृति नहीं ली गई। इन आरोपों के बीच वक्फ बोर्ड अब अदालत की शरण में है।
क्या वक्फ बोर्ड सेशन कोर्ट में अपनी बात साबित कर पाएगा? क्या नगर निगम आदेश बहाल रहेगा या बदलेगा? क्या यह मसला फिर से उग्र रूप लेगा या शांतिपूर्ण समाधान निकलेगा? यह सब 29 मई की सुनवाई के बाद ही स्पष्ट होगा।