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May 26, 2025

श्रीखंड महादेव यात्रा : खतरों भरा होगा सफर, इस बार पार करने होंगे 5 बड़े ग्लेशियर- जानें कब होगी शुरू

कई जगह टूट चुके हैं पुल- शॉर्टकट रास्ते भी जोखिम से भरे

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Shrikhand Mahadev

शिमला। देश की कठिनतम धार्मिक यात्राओं में गिनी जाने वाली श्रीखंड महादेव यात्रा इस वर्ष शिव भक्तों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होगी। इस बार यात्रियों को पवित्र स्थल तक पहुंचने के लिए पांच बड़े ग्लेशियर पार करने होंगे। यात्रा जून माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होने की संभावना है, लेकिन रास्तों की स्थिति को देखते हुए प्रशासन को पहले ही सतर्कता बरतनी पड़ रही है।

श्रीखंड महादेव के लिए पार करने होंगे 5 ग्लेशियर

हाल ही में मनाली से आए पर्वतारोहण दल ने श्रीखंड यात्रा के सभी प्रमुख मार्गों और ग्लेशियरों का जायजा लिया। यह आठ सदस्यीय टीम अब अपनी रिपोर्ट एसडीएम निरमंड को सौंपेगी, जो इसे आगे की कार्यवाही के लिए उपायुक्त कुल्लू को भेजेंगे। बीते वर्ष 31 जुलाई को इस क्षेत्र में बादल फटने से आई बाढ़ के कारण कई स्थानों पर रास्ते पूरी तरह से नष्ट हो गए थे।

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बना हुआ है खतरनाक रास्ता

टीम ने निरीक्षण के दौरान बताया कि सिंहगाड और बराहटी नाला में रास्ते पूरी तरह टूट चुके हैं। वहीं, पार्वती झरने के पास एक पुल की आवश्यकता जताई गई है। पार्वती बाग से ऊपर के हिस्से में अभी भी भारी बर्फ मौजूद है, जिससे रास्ता खतरनाक बना हुआ है।

 

टीम में पटवारी बुद्धि सिंह, टेक सिंह, वन रक्षक, दो पुलिस जवान, जल शक्ति विभाग और अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान, मनाली से दो पर्वतारोही शामिल थे। SDM निरमंड मनमोहन सिंह ने बताया कि टीम शीघ्र ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी- जिसके आधार पर आगामी कार्य योजना बनाई जाएगी।

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पांच श्रद्धालुओं की मौत

गौरतलब है कि इस यात्रा में बीते वर्ष (2024) पांच श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है। मुख्य समस्याएं बर्फ में फिसलने और ऑक्सीजन की कमी के कारण आती हैं। इसलिए सभी यात्रियों का पहले स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और उसी के आधार पर उन्हें यात्रा की अनुमति मिलती है।

शॉर्टकट रास्ते दे रहे हादसों को न्यौता

वहीं, कुछ श्रद्धालु मुख्य रास्ते को छोड़कर शॉर्टकट और खतरनाक मार्गों से यात्रा करने की कोशिश करते हैं, जो हादसों का बड़ा कारण बनते हैं। पार्वती बाग, जो अंतिम बेस कैंप के रूप में स्थापित होता है, से ऊपर के शॉर्टकट मार्ग को स्थानीय ग्रामीणों ने पूर्ण रूप से बंद करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस मार्ग से यात्रा करना सीधे तौर पर जान जोखिम में डालना है।

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कहां से शुरू होती है यात्रा?

शिमला से श्रीखंड यात्रा का मार्ग भी स्पष्ट है। श्रद्धालुओं को पहले शिमला से करीब 130 किलोमीटर दूर रामपुर, फिर वहां से 17 किलोमीटर दूर निरमंड, और निरमंड से जाओं तक 23 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। इसके बाद जाओं से 32 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू होती है।

सुरक्षित हो सकते यात्रा

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पंच कैलाश भगवान शिव के निवास स्थल माने जाते हैं, जिनमें से एक श्रीखंड महादेव भी है। अन्य कैलाशों में तिब्बत का कैलाश मानसरोवर, उत्तराखंड का आदि कैलाश, हिमाचल के चंबा का मणिमहेश, किन्नौर का किन्नर कैलाश और कुल्लू का श्रीखंड महादेव शामिल हैं। हर एक स्थल की अपनी पौराणिक मान्यताएं और धार्मिक महत्व है।

इस वर्ष यात्रा से पहले प्रशासन को रास्तों की मरम्मत, ग्लेशियरों पर सुरक्षा इंतजाम और स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि श्रद्धालुओं की यह कठिन यात्रा सुरक्षित और सफल हो सके।

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