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May 8, 2025
हिमाचल : खुले में कूड़ा फेंकना पड़ेगा महंगा, भरना पड़ेगा जुर्माना- नीति अधिसूचित
दुकानदारों के रद्द कर दिए जाएंगे लाइसेंस
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के लिए एक नई नीति को अमल में लाया है। अब राज्य की ग्राम पंचायतों को यह अधिकार मिलेगा कि वे अपने क्षेत्रों में सफाई शुल्क वसूल सकें और गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माना ठोंक सकें।
अगर कोई ग्रामीण या व्यवसायी खुले में कूड़ा फेंकता पाया गया, तो उस पर ₹200 से ₹500 तक का जुर्माना लगाया जाएगा। राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने इस नई व्यवस्था की अधिसूचना जारी कर दी है। विभाग के सचिव द्वारा बुधवार को इसके लिए एक विस्तृत कार्य प्रणाली (एसओपी) भी साझा की गई, जिससे प्रदेश की सभी पंचायतें निर्देशित होंगी।
गांवों में हर घर और दुकान को अब तीन रंगों के कूड़ेदान रखने होंगे- हरा, नीला और लाल। इनका प्रयोग अलग-अलग प्रकार के कचरे को छांटने के लिए किया जाएगा। पंचायतें तय समय पर सफाईकर्मी भेजकर घर-घर से कचरा इकट्ठा करवाएंगी।यदि कोई प्रतिष्ठान बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है तो उसकी व्यावसायिक अनुमति तक रद्द की जा सकती है।
इस नीति के तहत ग्राम पंचायतें स्वच्छता सेवाओं के बदले एक मामूली शुल्क वसूल सकेंगी, जो सफाई व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होगा। इसमें 15वें वित्त आयोग की ओर से मिले फंड और CSR के तहत मिलने वाले समर्थन का भी उपयोग किया जाएगा। सरकार निजी भागीदारी और लोक-निजी मॉडल के जरिए इस व्यवस्था को मजबूत करना चाहती है।
नीति में सभी संबंधित संस्थाओं की जिम्मेदारियाँ तय की गई हैं। पंचायत समिति को निगरानी की भूमिका दी गई है, जबकि जिला परिषद को तकनीकी और वित्तीय मार्गदर्शन प्रदान करना होगा। ब्लॉक स्तर पर खंड विकास अधिकारी इस पूरी प्रणाली की निगरानी करेंगे। जिला उपायुक्त राज्य सरकार को समय-समय पर इसकी प्रगति की रिपोर्ट देंगे।
नई नीति के तहत पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और सफाई कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, ग्राम सभाओं के माध्यम से ग्रामीणों को कचरे के सही निपटान के प्रति जागरूक किया जाएगा। स्थानीय मीडिया और प्रचार माध्यमों से स्वच्छता के प्रति सकारात्मक सोच को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
इस नीति का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को साफ, हरा-भरा और टिकाऊ पर्यावरण की दिशा में ले जाना है, जहां कचरा न केवल समस्या न रहे, बल्कि जिम्मेदारी से निपटाया जाए।