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November 8, 2025
हिमाचल : विदेश से सही-सलामत लौटे बेटे, परिजनों ने ली राहत की सांस- जानें क्या हुआ उनके साथ?
हिमाचल के 13 बेटे सुरक्षित लौटे घर
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शिमला। म्यांमार के अस्थिर म्यावाड्डी क्षेत्र से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने का अभियान पूरा हो गया है। भारतीय वायुसेना की विशेष उड़ान से लौटाए गए 270 भारतीयों में हिमाचल प्रदेश के 13 युवक भी शामिल हैं।
यह सभी दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद स्वास्थ्य जांच और सुरक्षा एजेंसियों की विस्तृत पूछताछ से गुजरे, जिसके बाद इन्हें घर भेज दिया गया। प्रशासन का मानना है कि यह युवक फर्जी रोजगार के झांसे में सीमा पार ले जाए गए थे, जहां उनसे कथित तौर पर साइबर फ्रॉड से जुड़े कार्य करवाए जा रहे थे।
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि नौकरी और बेहतर वेतन के सपने दिखाकर इन्हें अवैध रास्ते से थाईलैंड में दाखिल कराया गया। इसके बाद इन्हें थाई सीमा पार कर म्यावाड्डी ले जाया गया, जहां कई विदेशी गिरोह साइबर धोखाधड़ी के फर्जी कॉल सेंटर चलाते हैं।
जांच एजेंसियों के अनुसार, इन युवकों में से कुछ को पता था कि उन्हें ऑनलाइन स्कैम से जुड़े काम करने होंगे, जबकि कुछ को इसका अंदेशा भी नहीं था। अब यह जांच की जा रही है कि इनमें से किसे मजबूर किया गया और किसने इसे जानते हुए स्वीकार किया।
म्यांमार और थाईलैंड की संवेदनशील सीमा से अवैध प्रवेश के कारण सभी को इमिग्रेशन कानूनों के उल्लंघन में हिरासत में लिया गया था। भारत वापसी के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उनसे लंबी पूछताछ की। यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि यह नेटवर्क हिमाचल सहित भारत के किन-किन जिलों में सक्रिय है और युवाओं को कैसे फुसलाया जाता है।
कांगड़ा जिले के राहुल धीमान, हमीरपुर के चंबोह गांव के शिवम और अमन, ऊना के लखविंद्र समेत कुल 13 युवकों को गृह राज्य भेज दिया गया है। हिमाचल पुलिस का एक दल भी दिल्ली में तैनात रहा, ताकि युवाओं से सीधे संपर्क और आगे की जांच का समन्वय किया जा सके।
हमीरपुर के शिवम के परिवार की चिंता सबसे अधिक गहरी थी। परिजनों ने बताया कि शिवम को थाईलैंड की नौकरी का वादा कर भेजा गया था, पर असल में वह म्यांमार में पहुंचा दिया गया। 15 अगस्त को वह घर से रवाना हुआ था, लेकिन बीते दस दिनों से उसकी कोई बातचीत नहीं हो पा रही थी।
दो माह के वीजा की जगह उसे केवल दो महीने का अस्थायी स्टे दिया गया, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया। बीते शुक्रवार को शिवम के परिजनों ने सांसद अनुराग ठाकुर से मिलकर मदद की गुहार भी लगाई थी। उन्हें अब बेटे के सुरक्षित लौट आने के बाद राहत तो है, लेकिन अगले कदम को लेकर अभी भी चिंता जारी है।
सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुट गई हैं कि युवाओं को किसने भेजा, कितनी रकम ली गई, यह गिरोह किन राज्यों तक फैला है और क्या युवकों को धमकी देकर काम करवाया गया।
राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां फिलहाल संयुक्त रूप से जानकारी जुटा रही हैं।