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November 7, 2025
हिमाचल में तंबाकू बैन : बेचने वाले दुकानदारों को 5 साल तक रहना पड़ेगा सलाखों के पीछे
पहले भी लगी थी रोक, इस बार और सख्ती
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में तंबाकू और निकोटिन युक्त खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री पर एक वर्ष के लिए पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया है। यह निर्णय फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट-2006 एवं फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स रेगुलेशन-2011 के तहत जारी अधिसूचना के आधार पर लिया गया है।
सरकार का कहना है कि लगातार बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों और युवाओं में नशे की प्रवृत्ति को रोकने के लिए यह कदम आवश्यक हो गया था। अधिसूचना के अनुसार प्रतिबंध की अवधि में कोई भी व्यक्ति, व्यापारी या कंपनी तंबाकू या निकोटिन युक्त खाद्य उत्पादों का उत्पादन, बिक्री, भंडारण अथवा वितरण नहीं कर सकेगी।
अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे एक वर्ष से पांच वर्ष तक की कैद के साथ आर्थिक दंड का भी सामना करना पड़ सकता है। यह सजा फूड सेफ्टी एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत ही दी जाएगी।
पिछले कुछ वर्षों में राज्य में गुटखा, खैनी और सुगंधित सुपारी जैसे चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपयोग लगातार बढ़ा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे पदार्थों में मौजूद निकोटिन शरीर को जल्दी लत में धकेल देता है। लंबे समय तक सेवन करने पर इसका सीधा प्रभाव मुंह, गले और फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, रक्तचाप एवं श्वसन संबंधी दिक्कतों के रूप में सामने आता है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तंबाकू से जुड़े रोगों के इलाज पर राज्य के सामान्य स्वास्थ्य बजट का बड़ा हिस्सा खर्च होता है। इसलिए, रोक लगाना केवल स्वास्थ्य सुरक्षा ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी आवश्यक था।
हिमाचल में ऐसे उत्पाद जिनमें तंबाकू या निकोटिन की मिलावट की जाती है- सब बैन कर दिए गए हैं। इसमें-
राज्य सरकार ने इन नियमों को जमीनी स्तर पर लागू करने की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा आयुक्त को सौंपी है। अधिकारी को सभी जिलों में नियमित निरीक्षण करने, नमूने लेने और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश जारी हो चुके हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग भी इस निगरानी अभियान में सहयोग करेंगे।
हालांकि राज्य में पहले भी इन उत्पादों पर अस्थायी प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार ने इसे और कठोर रूप में लागू करने का फैसला किया है। जागरूकता अभियान चलाकर स्कूलों, कॉलेजों और बाजार क्षेत्रों में लोगों को तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देने की भी तैयारी है। सरकार का मानना है कि यदि प्रशासनिक सख्ती और सामाजिक जागरूकता को साथ लेकर चला जाए तो प्रदेश को नशे की प्रवृत्ति से काफी हद तक बचाया जा सकता है।