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April 28, 2025

हिमाचल में मनरेगा पर संकट गहरा- केंद्र से मजदूरों की दिहाड़ी रुकी, कामकाज ठप

ना ही मिल रहा कामकाज, ना ही मिल रही मजदूरों को दिहाड़ी

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MNREGA Workers

शिमला। हिमाचल प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना MNREGA का कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। इसका कारण केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश की मनरेगा ग्रांट पर रोक लगाना है। बीते चार महीनों से न तो मजदूरों को दिहाड़ी मिली है और न ही मनरेगा के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को वेतन। इससे प्रदेश भर में लाखों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

MNREGA का कामकाज बुरी तरह प्रभावित

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2024 से हिमाचल प्रदेश के लिए मनरेगा के तहत लगभग 461.56 करोड़ रुपये की राशि लंबित है। इसमें 250 करोड़ रुपये मजदूरों की मजदूरी (लेबर मद), 200 करोड़ रुपये निर्माण सामग्री की खरीद और 11 करोड़ रुपये प्रशासनिक खर्च (एडमिन मद) के लिए रुके हुए हैं। 26 दिसंबर के बाद से मजदूरों को उनकी मेहनत की कमाई का भुगतान नहीं हो पाया है, जिससे हजारों परिवारों का गुजारा कठिन हो गया है।

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मजदूरों को नहीं मिल रही दिहाड़ी

हिमाचल प्रदेश ने मनरेगा के तहत शानदार प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश ने 1534 करोड़ रुपये के कार्य पूरे किए और 395 लाख कार्य दिवस अर्जित किए, जो तय लक्ष्य से 136 प्रतिशत अधिक है। बावजूद इसके, केंद्र सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित 417 लाख कार्य दिवसों को घटाकर मात्र 250 लाख कर दिया है। प्रदेश सरकार और ग्रामीण विकास विभाग ने इस कटौती पर विरोध जताते हुए कहा है कि हिमाचल की भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कार्य दिवसों में कमी करना न्यायसंगत नहीं है।

खर्च चलाना हो रहा मुश्किल

मनरेगा से जुड़े 1031 ग्राम रोजगार सहायक, 400 तकनीकी सहायक, 100 कंप्यूटर ऑपरेटर और 24 कनिष्ठ लेखपाल भी वेतन न मिलने से आर्थिक संकट झेल रहे हैं। ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवराज ठाकुर और शिमला जिला अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि पिछले तीन महीनों से कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली है, जिससे उनके परिवारों के सामने रोजमर्रा का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। कर्मचारियों का वेतन एडमिन फंड से जारी किया जाता है, जो इस वक्त पूरी तरह ठप है।

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नहीं मिल रही कोई राहत

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार बार-बार केंद्र सरकार को पत्र लिखकर लंबित ग्रांट जारी करने की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के मनरेगा मजदूरों और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र को कई बार निवेदन किया गया, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मंत्री ने चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो ग्रामीण विकास के कार्य बुरी तरह प्रभावित होंगे और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।

सरकार से नाराज मजदूर

मनरेगा के काम बंद होने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य भी रुक गए हैं। सड़कों, नालियों, तालाबों और अन्य निर्माण कार्यों पर ताला लग गया है। मजदूरों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है और पंचायतें भी चिंतित हैं क्योंकि निर्माण सामग्री की खरीद के बिना परियोजनाओं को आगे बढ़ाना असंभव हो गया है। स्थिति अगर जल्द नहीं सुधरी, तो आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में व्यापक असंतोष और आक्रोश देखने को मिल सकता है।

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