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September 3, 2025

हिमाचल में चमत्कार : आपदा के बीच मणिमहेश पहुंचे चेले, निभाई डल तोड़ने की रस्म

कठिन हालात में भी निभाई परंपरा

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manimahesh yatra

चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला में स्थित मणिमहेश कैलाश में राधाष्टमी पर संचुई गांव के शिवजी के चेलों (गुरों) के मणिमहेश न पहुंच पाने से डल तोड़ने की परंपरा का निर्वहन नहीं हो पाया हो, लेकिन कार्तिकेय स्वामी कुगती के चेलों ने यह परंपरा निभाई।

कठिन हालात में भी निभाई परंपरा

जानकारी के अनुसार, कार्तिकेय स्वामी मंदिर से केवल छह चेले खराब मौसम के बावजूद डल झील तक पहुंचे। उन्हें ही वहां जाने की अनुमति दी गई थी। बेहद कम संख्या में शिव भक्त भी इस दौरान डल झील पर मौजूद रहे, लेकिन परंपरा को निभाने की आस्था ने सभी को प्रभावित किया।

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कठिन परिस्थितियों के बावजूद कुगती के चेलों ने मणिमहेश डल झील पर नारियल प्रवाहित कर डल तोड़ने की रस्म पूरी की। इस दौरान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में चेलों को पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते और डल तोड़ते हुए देखा जा सकता है।

कौन हैं कार्तिकेय स्वामी?

कार्तिकेय स्वामी, जिन्हें स्थानीय परंपराओं में केलंग बजीर भी कहा जाता है, भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र माने जाते हैं। लोकमान्यता है कि वे इस संसार के पालनहार हैं और हर वर्ष उनके चेलों के आदेश पर ही डल तोड़ने की रस्म निभाई जाती है।

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संचुई गांव के चेले नहीं पहुंच पाए

गौरतलब है कि राधाष्टमी पर संचुई गांव के गुर पुलिस सुरक्षा के बीच डल तोड़ने के लिए रवाना हुए थे, लेकिन हड़सर से आगे रास्ता क्षतिग्रस्त होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। मान्यता है कि राधाष्टमी के दिन संचुई के चेलों द्वारा पूजा-अर्चना कर डल तोड़ने की रस्म पूरी किए जाने के बाद ही मणिमहेश झील में शाही स्नान का शुभारंभ होता है।

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