#विविध

September 1, 2025

मणिमहेश यात्रा के श्रद्धालुओं ने सुनाई आपबीती, तबाही का मंजर याद कर नहीं थम रहे आंसू

हर साल लंगर सजते हैं - वहां इस बार सिर्फ तबाही का मंजर था

शेयर करें:

Manimahesh Yatra 2025

चंबा। भगवान शिव की नगरी मणिमहेश यात्रा इस बार कई श्रद्धालुओं के लिए दर्दनाक अनुभव बनकर रह गई। भारी बारिश और बादल फटने से जब नाले का जलस्तर अचानक बढ़ा तो निचले इलाकों में तबाही मच गई।

डल झील की ओर से आया सैलाब

मणिमहेश डल झील की ओर से आए सैलाब ने श्रद्धालुओं को दहशत में डाल दिया। जो लोग वहां मौजूद थे, उन्होंने बताया कि उस वक्त का मंजर इतना भयावह था कि उनकी रूह तक कांप गई।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में भारी बारिश ने मचाई तबाही : कई घर टूटे, मलबे में दबे बाप-बेटी समेत तीन

श्रद्धालुओं ने सुनाई आपबीती

पठानकोट के अजय कुमार ने बताया कि वह अपने साथियों के साथ यात्रा पर गए थे। जब हालात थोड़े सामान्य हुए तो उन्होंने गौरीकुंड से नीचे उतरने का निर्णय लिया और बड़ी मुश्किल से धन्छो तक पहुंचे।

नहीं मिली किसी तरह की मदद

उनके अनुसार धन्छो से हड़सर की ओर आते वक्त रात हो चुकी थी और रास्ते में प्रशासन की ओर से किसी तरह की मदद उपलब्ध नहीं थी। वे जंगलों से होकर आगे बढ़े और यह डर लगातार बना रहा कि कहीं ऊपर से पत्थर न गिर जाएं या भूस्खलन न हो जाए। किसी तरह रात करीब 11 बजे तक वे हड़सर पहुंचे।

यह भी पढ़ें : सावधान हिमाचल! आज होगी भारी से भारी बारिश, कई जिलों में बाढ़ आने का अलर्ट

लंगर और दुकानें बह गईं

श्रद्धालुओं ने बताया कि हड़सर पहुंचने पर स्थिति और भी भयावह नजर आई। जहां हर साल लंगर सजते हैं और श्रद्धालु भोजन करते हैं, वहां इस बार सिर्फ तबाही का मंजर था। पानी का बहाव इतना तेज था कि लंगर और दुकानें बह गई थीं। पुलिस और प्रशासन की ओर से मदद सिर्फ एक किलोमीटर के दायरे में ही दिखी।

स्थानीय लोगों ने बढ़ाया हाथ

अजय कुमार ने कहा कि हड़सर में स्थानीय लोगों ने उन्हें अपने घरों में ठहराया और भोजन भी कराया। यही वजह रही कि वे सुरक्षित घर लौट पाए। उन्होंने कहा कि जीवन में ऐसा मंजर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था और भगवान से यही प्रार्थना है कि ऐसी स्थिति दोबारा न आए।

 

यह भी पढ़ें : हिमाचल: NHAI ने इस फोरनेल को जारी किए 100 करोड़ रुपए, सुरंग-फ्लाईओवर से होगा पुनर्निर्माण

जीवन का सबसे बुरा अनुभव

पठानकोट के संदीप कुमार ने बताया कि वे भी बहुत मुश्किल से घर लौट पाए। कई जगह सड़कें पूरी तरह बह गई थीं। जहां रास्ता सही मिला वहां निजी वाहन में लिफ्ट ली, लेकिन दो-तीन किलोमीटर के बाद फिर से पैदल चलना पड़ा। उनका कहना था कि यह सफर जीवन का सबसे भयावह अनुभव रहा।

"धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहनी चाहिए"

अमृतसर के पवन कुमार ने यात्रा के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस बार हालात देखकर उनकी आत्मा तक कांप गई। उनका मानना है कि प्रशासन को यात्रा प्रबंधन और सुरक्षा को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में सुबह-सवेरे खाई में गिरी AMBULANCE, मची चीख-पुकार; ड्राइवर के हुए बुरे हाल

शराब लेकर मंदिर पहुंचे...

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चिंता यह रही कि कुछ लोग शराब लेकर मंदिर तक पहुंचे, जिससे धार्मिक स्थलों की पवित्रता भंग हुई। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि भविष्य में शराब पर पूर्ण रोक लगाई जाए।

रास्तों में फंसे कई लोग

श्रद्धालुओं ने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि जो लोग अब भी मार्ग में फंसे हैं, उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जाए। मार्ग ध्वस्त होने से कई वाहन अभी भरमौर और अन्य स्थानों पर फंसे हैं। स्थानीय लोगों की मदद और भगवान की कृपा से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुरक्षित लौट पाए हैं।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख