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July 19, 2025
हिमाचल : आपदा में बह गई सड़क- बीमार महिला के लिए फरिश्ते बनें ग्रामीण, पालकी से पहुंचाया अस्पताल
सराज की तबाही के 18 दिन बाद भी सड़कें गायब, लेकिन मानवता की राह अब भी ज़िंदा
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मंडी। हिमाचल के मंडी जिले की सराज घाटी एक बार फिर इंसानी जज्बे की मिसाल बन गई। करसौली गांव की नर्वदा देवी की तबीयत बिगड़ी, तो न सड़क थी, न साधन। मगर गांव था और गांव का इरादा था। त्रासदी ने भले ही इस क्षेत्र में खूब तबाही मचाई हो, मगर यहां के लोगों का जज्बा नहीं तोड़ पाई है।
बता दें कि 30 जून को आई भीषण आपदा ने करसौली का संपर्क मार्ग तबाह कर दिया। जगह-जगह टूटे नाले, चट्टानों की ढेरी और कीचड़ भरे रास्ते किसी भी वाहन या एम्बुलेंस के लिए नामुमकिन थे। लेकिन जब नर्वदा देवी की बाजू और टांग में असहनीय दर्द उठा, चक्कर आने लगे और सांसें डगमगाने लगीं। जिसके बाद तुरंत गांव के लोगों ने महिला की मदद के लिए हाथ बढ़ाए और पालकी में उठाकर अस्पताल का रास्ता नापा।
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पखरैर पंचायत के इस छोटे से गांव में करीब 25 ग्रामीणों ने रातोंरात पालकी तैयार की। नर्वदा को बारी-बारी कंधों पर उठाकर नौ किलोमीटर दूर देजी तक लाया गया, जहां सड़क थी और फिर गाड़ी से उन्हें बगस्याड़ नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया। लगातार बारिश, संकरी पगडंडियां, फिसलन और हर पल बहते नालों से गिरने का डर ग्रामीणों को सताता रहा। लेकिन चार घंटे से भी ज़्यादा के इस संघर्ष में ग्रामीणों ने एक बार भी हार नहीं मानी।
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यह घटना प्रशासन के उस दावे पर भी सवाल खड़ा करती है जिसमें राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की बात की जाती है। आपदा के 18 दिन बीतने के बाद भी करसौली गांव का संपर्क मार्ग पूरी तरह से बंद पड़ा है। गांववालों का आक्रोश अब खुलकर सामने आने लगा है।
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नर्वदा देवी के पति चरण सिंह का कहना है कि हमारा घर सड़क से सिर्फ पांच मिनट की दूरी पर है। मगर आपदा में सड़कें ढह गई है, जिसके कारण स्थानीय लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है।
कुछ दिन पहले गांव में पहुंचे सेना के जवानों ने बीमारों को कुछ जरूरी दवाइयां दी थीं, जिससे नर्वदा को थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन जैसे ही अगली सुबह हालत बिगड़ी, गांव फिर अलर्ट हो गया। और एक बार फिर, इंसानियत ने सरकारी तंत्र की कमी पूरी कर दी।