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November 19, 2025
हिमाचल के इस बड़े संस्थान से प्रभावित हुआ विदेशी कपल, डोनेट किए 75 लाख- जानें
ऑपरेशन सिंदूर में संस्थान ने निभाया अहम रोल
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में कई संस्थान ऐसे हैं- जो देश-विदेश में अपने उत्कृष्ट कामों के लिए जाने जाते हैं। इसी कड़ी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (IIT) को एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिला है, जो न केवल संस्थान की प्रगति को गति देगा बल्कि आने वाले वर्षों में शोध, शिक्षा और नवाचार के कई नए द्वार भी खोलेगा।
अमेरिका के ह्यूस्टन (टेक्सास) में रहने वाले दंपती सतीश अग्रवाल और कमलेश अग्रवाल ने संस्थान को 86,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 75 लाख रुपये) का उदार योगदान दिया है। यह दान IIT मंडी की शैक्षणिक उत्कृष्टता को लंबे समय तक मजबूती देने वाली पहल के रूप में देखा जा रहा है।
IIT मंडी पिछले कुछ वर्षों में लगातार उच्च स्तर के शोध कार्यों को विकसित कर रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के विरुद्ध हुए ऑपरेशन सिंदूर में भी IIT मंडी द्वारा विकसित ड्रोन भारतीय एजेंसियों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हुए थे।
इससे संस्थान के तकनीकी कौशल और नवाचार क्षमता की वैश्विक स्तर पर पहचान और मजबूत हुई है। ऐसे में यह दान संस्थान की वैज्ञानिक तैयारी, शोध के स्तर और तकनीकी नवाचार को और अधिक सुदृढ़ करेगा।
अग्रवाल दंपती के सहयोग से “सतीश एवं कमलेश अग्रवाल चैरिटेबल फंड, ह्यूस्टन, टेक्सास, यूएसए” नामक मास्टर फंड की स्थापना की जाएगी। यह फंड संस्थान की दीर्घकालिक योजनाओं के लिए स्थायी वित्तीय आधार के रूप में काम करेगा।
मूल राशि को किसी भी स्थिति में खर्च नहीं किया जाएगा हर वर्ष मिलने वाले ब्याज का केवल 90% हिस्सा ही विकास कार्यों में उपयोग होगा। 10% राशि फंड को और मजबूत करने के लिए पुनर्निवेश में लगाई जाएगी। ब्याज से चलेंगी छात्रवृत्तियां, स्मार्ट क्लासरूम और शोध परियोजनाएं।
फंड से प्राप्त ब्याज का उपयोग केवल स्वीकृत और रचनात्मक शैक्षणिक कार्यों में किया जाएगा। इनमें शामिल हैं-
इस सहयोग को जमीन पर उतारने में IIT रुड़की फाउंडेशन (IITRF), यूएसए का बड़ा योगदान रहा। रुड़की फाउंडेशन ने बिना किसी प्रशासनिक कटौती के पूरी राशि को आईआईटी मंडी तक पहुंचाया। संस्थान ने रुड़की के निदेशक मंडल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा है कि फाउंडेशन का पूरा खर्च बोर्ड सदस्य स्वयं वहन करते हैं, जिससे परोपकार की प्रभावशीलता और अधिक बढ़ जाती है।
IIT मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने इसे संस्थान के इतिहास में एक प्रेरक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह योगदान न केवल शोध और नवाचार को सशक्त करेगा, बल्कि IIT मंडी के शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
डोरा डीन प्रो. वरुण दत्त ने भी दाताओं का आभार जताते हुए कहा कि यह फंड वर्षों तक संस्थान की गुणवत्ता और उत्कृष्टता को मजबूत करता रहेगा। सहयोग प्रदान करने वाले सतीश अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि उनका यह योगदान शिक्षा, नवाचार और समाज सेवा को समर्पित है। उनका स्पष्ट उद्देश्य है कि तकनीक और ज्ञान की शक्ति समाज में स्थायी सकारात्मक बदलाव ला सके।
यह दान केवल एक आर्थिक मदद नहीं, बल्कि संस्थान की विकसित होती पहचान, वैश्विक भरोसे और दूरदर्शी शोध संस्कृति को मिली बड़ी मान्यता है। इस सहयोग से न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं को नए अवसर मिलेंगे, बल्कि हिमाचल जैसे पहाड़ी क्षेत्र में विज्ञान और तकनीक की क्षमता को मजबूत आधार मिलेगा।