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September 12, 2025

हिमाचल: डिपुओं में अब इन लोगों को नहीं मिलेगा सस्ता राशन, केंद्र ने 5 लाख उपभोक्ताओं की भेजी लिस्ट

केंद्र सरकार ने पांच लाख से अधिक संदेहास्पद लोगों की भेजी लिस्ट 

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Ration depot

सोलन। हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों को अब बड़ा झटका लगने वाला है। प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अंतर्गत डिपुओं में मिलने वाले सस्ते राशन का लाभ उठा रहे लाखों उपभोक्ताओं की पात्रता अब पुनः जांच के घेरे में आ गई है। केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश को भेजी गई नई दिशा.निर्देशों के तहत अब वे लोग जो आर्थिक रूप से सक्षम माने जा रहे हैं, उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत मिलने वाली रियायती राशन सुविधा से बाहर किया जाएगा।

 

इस प्रक्रिया की शुरुआत केंद्र द्वारा हिमाचल को भेजी गई लगभग 5 लाख से अधिक संदिग्ध उपभोक्ताओं की सूची से हुई है। इन उपभोक्ताओं की पात्रता की गहनता से जांच की जाएगी, जिसके बाद राज्य सरकार केंद्र को रिपोर्ट सौंपेगी।

 

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इन श्रेणियों की होगी विशेष जांच

राज्य सरकार ने इस जांच का जिम्मा खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को सौंपा है। केंद्र द्वारा जिन प्रमुख श्रेणियों की जांच के निर्देश दिए गए हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • पिछले छह माह से राशन न लेने वाले उपभोक्ता
  • दो अलग-अलग स्थानों से राशन ले रहे परिवार
  • चार पहिया वाहन रखने वाले उपभोक्ता
  • आयकरदाता (Tax Payer) लोग
  • निर्धारित सीमा से अधिक कृषि भूमि रखने वाले परिवार
  • पक्के मकानों के मालिक

इन बिंदुओं के आधार पर अपात्र पाए गए व्यक्तियों को NFSA के तहत मिलने वाली सुविधाओं से हटाया जाएगा, ताकि सब्सिडी का लाभ केवल उन जरूरतमंद परिवारों को मिले जो वास्तव में इसके पात्र हैं।

 

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राशन प्रणाली में क्या मिलती है सुविधा?

वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में लगभग 7 लाख परिवार NFSA के तहत सस्ते राशन का लाभ उठा रहे हैं। इसमें तीन मुख्य श्रेणियां शामिल हैं — बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे), प्राथमिकता प्राप्त परिवार (PHH) और अंत्योदय परिवार। इन परिवारों को निम्नलिखित दरों पर राशन उपलब्ध कराया जा रहा है:

  • प्रति सदस्य 2 किलो चावल निशुल्क
  • प्रति सदस्य 2.8 किलो गेहूं का आटा @ ₹1.20 प्रति किलो
  • चीनी ₹13 प्रति किलो,
  • दालें, रिफाइंड और तेल बाजार से ₹10 तक सस्ते दर पर

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क्या है केंद्र सरकार का उद्देश्य

केंद्र सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी सब्सिडी का लाभ केवल वास्तविक जरूरतमंदों को ही मिले। कई ऐसे लोग जो अब आर्थिक रूप से सक्षम हो चुके हैं, फिर भी वर्षों से इस योजना का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। ऐसे लोगों को बाहर कर देना सार्वजनिक संसाधनों के न्यायसंगत वितरण की दिशा में एक अहम कदम है।

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सोलन में 35 हजार संदिग्ध उपभोक्ता

जिले स्तर पर भी जांच शुरू हो चुकी है। सोलन जिले में ही केंद्र द्वारा भेजी गई सूची में लगभग 35,000 उपभोक्ताओं के नाम शामिल हैं। इन सभी की पात्रता की समीक्षा की जाएगी। जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक श्रवण हिमालयन ने बताया कि विभाग जांच में तेजी लाने के लिए गांवों व वार्ड स्तर पर टीमें बना रहा है। जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद सभी अपात्रों की सूची केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।

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