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June 26, 2025
सुक्खू सरकार ने हाईकोर्ट में 5 लाख जुर्माना माफी की लगाई गुहार, किया आवेदन
कांग्रेस सरकार ने जमा करवाए पांच लाख, माफी को भी किया आवेदन
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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (एचपी रेरा) में चेयरमैन और सदस्य की नियुक्ति में अनावश्यक देरी पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना 20 जून को दिए आदेश में तब लगाया गया, जब अदालत ने पाया कि 13 मार्च को की गई सिफारिशों के बावजूद सरकार ने नियुक्ति अधिसूचना जारी नहीं की थी। अदालत ने यह रकम 25 जून तक हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दिए थे।
राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश के तहत 5 लाख की राशि तो बुधवार को जमा करा दी, लेकिन इसके साथ ही जुर्माना माफ करने का आवेदन भी दाखिल कर दिया। इस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता अतुल शर्मा को नोटिस जारी कर सरकार के इस आवेदन पर जवाब देने के लिए कहा है। अदालत ने याचिकाकर्ता से इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने को कहा है और अब इस जुर्माना माफी के मुद्दे की सुनवाई 23 जुलाई को होगी।
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इस मामले में याचिकाकर्ता अतुल शर्मा ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट से एचपी रेरा में लंबित नियुक्तियों को लेकर दखल देने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने समय पर अधिसूचना जारी नहीं की, जिससे नियामक संस्था में कामकाज ठप पड़ा है। हाईकोर्ट ने सरकार की इस देरी को अनुचित ठहराते हुए जुर्माना लगाया और तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह देरी न्यायिक आदेशों की अवमानना के समान है।
हाईकोर्ट की सख्ती और जुर्माने के बाद सरकार ने 24 जून को आखिरकार अधिसूचना जारी की। इसके तहत पूर्व मुख्य सचिव आरडी धीमान को एचपी रेरा का चेयरमैन और पूर्व आईएएस अधिकारी अमित कश्यप को सदस्य नियुक्त किया गया। यह कदम स्पष्ट रूप से न्यायालय के दबाव का परिणाम था, जो कि सुक्खू सरकार की प्रशासनिक सुस्ती और फैसले लेने में देरी को उजागर करता है।
उक्त याचिका में एक और अहम मुद्दा मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवा विस्तार दिए जाने को लेकर था। सरकार ने इस मामले में भी बुधवार को अदालत में अपना जवाब दाखिल किया। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ अब इस मसले पर भी 23 जुलाई को सुनवाई करेगी।
याचिका में यह मुद्दा भी उठाया गया है कि एचपी रेरा का कार्यालय बिना किसी स्पष्ट पहचान या वैकल्पिक व्यवस्था के 13 जून, 2025 को शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित कर दिया गया। इसे जनहित से जुड़ा गंभीर मसला बताया गया है। अदालत ने इस पहलू की सुनवाई भी 23 जुलाई को तय की है।