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September 16, 2025

हिमाचल का जवान शहीद: इकलौते बेटे ने दी मुखाग्नि, ताबूत से लिपट फूट-फूट कर रोई मां-पत्नी

शहीद एएसआई गोपाल सिंह को नम आंखों से अंतिम विदाई 

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Himachal Shimla Jawan

शिमला। हिमाचल प्रदेश ने आज अपना एक और जवान खो दिया है। शिमला जिले की ठियोग तहसील के सैंज गांव में आज उस समय हर आंख नम हो गई, जब वीर सपूत एएसआई गोपाल सिंह को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया। असम में अपनी ड्यूटी के दौरान हृदयगति रुकने से शहीद हुए गोपाल सिंह की पार्थिव देह आज सुबह गांव पहुंची, जहां हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़े।

जवान की देह घर पहुंची, मां-पत्नी हुईं बेसुध

जैसे ही सेना के जवान तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह लेकर सैंज गांव पहुंचे, वहां मातम सा छा गया। वीर सपूत का ताबूत जब घर के आंगन में रखा गया, तो पत्नी द्रुप्ता चीखती हुई दौड़ पड़ी और ताबूत से लिपट गईं। उठो गोपाल.. देखो अभिषेक तुम्हें बुला रहा है.... कहकर वे कई बार बेसुध हो गईं। वहीं मां उत्मू देवी भी बार.बार मूर्छित हो रही थीं। बेटे के जाने का ग़म उनके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। आसमान भी जैसे अपने वीर सपूत को अंतिम सलामी देने को उमड़ पड़ा हो वातावरण पूरी तरह शोक में डूबा रहा।

 

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इकलौते बेटे ने दी मुखाग्नि

गोपाल सिंह के 16 वर्षीय इकलौते बेटे अभिषेक ने कांपते हाथों से पिता को मुखाग्नि दी। उस क्षण को देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। एक बेटे के लिए यह पल न केवल जीवन का सबसे कठिन क्षण था, बल्कि एक जिम्मेदारी का आगाज़ भी। गोपाल ने बेटे को हमेशा देशभक्ति, सेवा और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया था। अब अभिषेक उन्हीं आदर्शों को जीने का वादा कर रहा था।

 

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गोपाल सिंह अमर रहें के नारों से गूंजा क्षेत्र

शहीद गोपाल सिंह की अंतिम यात्रा में हजारों ग्रामीणों ने भाग लिया। लोग भारत माता की जय और गोपाल सिंह अमर रहें के नारों के साथ उन्हें विदाई देने पहुंचे। गांव की गलियों से लेकर श्मशान घाट तक, हर कोना गोपाल सिंह के बलिदान की गाथा सुना रहा था। गोपाल को अंतिम विदाई देने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे।

25 वर्षों तक देश सेवा, फिर वीरगति को प्राप्त

45 वर्षीय एएसआई गोपाल सिंह पिछले ढाई दशक से सशस्त्र सीमा बल (SSB) में सेवा दे रहे थे। वर्तमान में उनकी तैनाती असम में थी। शनिवार को ड्यूटी के दौरान उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई। चार दिन बाद, सोमवार सुबह 10 बजे उनकी पार्थिव देह गांव पहुंची। गोपाल सिंह के पिता का पहले ही निधन हो चुका है। अब उनके जाने के बाद मां, पत्नी और बेटा अकेले रह गए हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य बताई जा रही है। राज्य सरकार से ग्रामीणों ने मांग की है कि शहीद के परिवार को यथोचित सहायता और बेटे के भविष्य के लिए विशेष योजनाएं दी जाएं।

 

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गांव बोले – “ऐसे बेटे पर हमें गर्व है”

सैंज गांव के लोगों ने कहा कि गोपाल न केवल एक फौजी थे, बल्कि एक सच्चे इंसान भी थे। गांव में हर किसी की मदद करने को तैयार रहते थे। उनके जाने से पूरा क्षेत्र शोक में डूबा हुआ है, लेकिन गर्व भी है कि हमारा बेटा देश के लिए जिया और देश के लिए ही चला गया।

नमन उस मां को जिसने देश को ऐसा सपूत दिया…

देश एक और वीर सपूत को खो चुका है, लेकिन उसका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मां उत्मू देवी और पत्नी द्रुप्ता ने जो पीड़ा सही है, वह शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। फिर भी, उनके चेहरे पर जो गर्व झलकता है — वो बताता है कि गोपाल सिंह जैसे सपूत यूं ही अमर नहीं होते।

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