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April 21, 2025
ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन, फेफड़े और किडनी संक्रमण का चल रहा था इलाज
रोमन कैथोलिक चर्च के पहले गैर यूरोपीय पोप थे
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शिमला। कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 साल की उम्र निधन हो गया। पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के एक हजार साल के इतिहास में पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। पोप फ्रांसिस पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे।
उन्हें निमोनिया और एनीमिया की शिकायत पर 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद वे 5 हफ्ते तक फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे। उसी समय उनकी किडनी फेल होने का पता चला था। लेकिन वेटिकन के विशेष अनुरोध पर पोप को 14 मार्च को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था।
पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी थे। वे 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266 वें पोप बने। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। रोमन कैथोलिक चर्चा के इतिहास में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।
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पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस में हुआ था। उनका ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बीता। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। साल 2001 में वे कार्डिनल बन गए।
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2021 में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने यूरोप दौरे के समय पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी। उन्होंने ने पोप को भारत आने का न्योता भी दिया था। इसके बाद दूसरी बार पिछले साल G-7 समिट में उनकी पोप से मुलाकात हुई थी।