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January 25, 2025
54 साल में हिमाचल ने हासिल किए कई मुकाम, देश के लिए मिसाल बना पहाड़ी राज्य
पूरे देश के लिए आदर्श बना हिमाचल प्रदेश
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शिमला। हिमाचल प्रदेश अपने स्वतंत्र अस्तित्व यानी पूर्ण राज्यत्व के 55वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। 25 जनवरी 1971 का दिन हिमाचल प्रदेश के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बर्फबारी के बीच शिमला के रिज मैदान से इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की। यह राज्य के लिए नई संभावनाओं और विकास की शुरुआत थी।
पिछले 54 वर्षों में हिमाचल ने अपनी सीमित संसाधनों और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। 1971 में हिमाचल की जनसंख्या मात्र 9.83 लाख थी, जो अब 70 लाख से अधिक हो चुकी है। प्रति व्यक्ति आय 2.35 लाख रुपए तक पहुंच चुकी है और राज्य की साक्षरता दर 82% हो गई है।
राज्य ने कृषि, बागवानी, ऊर्जा, सड़क निर्माण, शिक्षा, और स्वास्थ्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। आज हिमाचल प्रदेश ना केवल पहाड़ी राज्यों बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है।
हिमाचल की अर्थव्यवस्था ने पिछले पांच दशकों में एक बड़ा बदलाव देखा है। 1950-51 में कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में 57.9% योगदान था- जो अब 2022-23 में घटकर 9.45% रह गया है। इसका कारण राज्य का उद्योग और सेवा क्षेत्रों की ओर बढ़ता रुझान है।
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हिमाचल में AIIMS, IIM, IIT और छह मेडिकल कॉलेजों सहित प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना हुई है। राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा सुधार हुआ है- जहां सरकारी और निजी मिलाकर कुल 16,000 से अधिक शिक्षण संस्थान हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ बिलासपुर में AIIMS और अन्य मेडिकल कॉलेज राज्य की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश का विकास अभी भी केंद्र सरकार की आर्थिक सहायता पर निर्भर है। GST में हिस्सेदारी घटने और राजस्व घाटा अनुदान में कटौती के चलते राज्य को गंभीर वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने स्वावलंबन की दिशा में ठोस कदम उठाने की योजना बनाई है।
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पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसे पहाड़ी राज्यों के लिए मॉडल बताते हुए कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास, पर्यटन के विस्तार और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार से हिमाचल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है।
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हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता और भौगोलिक स्थिति इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाती है। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हिमाचल को "भारत का स्विट्जरलैंड" कहा, लेकिन यह भी माना कि पर्यटन को अभी तक उतनी प्राथमिकता नहीं दी गई है, जितनी दी जानी चाहिए थी। प्रदेश में रोपवे, हाइड्रोपावर, और पर्यटन आधारित उद्योगों के विकास से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।
आज हिमाचल प्रदेश के लोग अपने राज्य को एक आत्मनिर्भर और स्थिर अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का संकल्प ले रहे हैं। राज्य की समृद्धि के लिए पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। हिमाचल प्रदेश के संघर्ष और विकास की यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद मेहनत और दृढ़ संकल्प से बड़ी से बड़ी ऊंचाई को छुआ जा सकता है।