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July 14, 2025
हिमाचल में बरसात ने मचाया हाहाकार- 98 लोगों ने गंवाई जिंदगी, 34 अभी भी मलबे में लापता
लगातार हो रही बारिश ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में बरसता इस बार कहर बन कर बरसी है। भारी बारिश के कारण कई परिवारों का नामोनिशान मिट गया है। कई लोगों के घर, जमीन, गाड़ियां सब कुछ मलबे की चपेट में आ गया है। कई हिस्सों में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
सोमवार सुबह 10 बजे तक प्रदेशभर में 209 सड़कें, 139 ट्रांसफार्मर, और 745 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हो चुकी हैं। सबसे अधिक असर मंडी और कांगड़ा जिलों में देखा गया है, जहां सड़कों और पेयजल आपूर्ति पर मानसून की मार अब भी बनी हुई है।
प्रदेश में आपदा से सबसे अधिक प्रभावित जिला मंडी है। यहां 13वें दिन भी 157 सड़कें और 133 जल योजनाएं ठप पड़ी हैं। प्रशासन द्वारा लगातार बहाली कार्य किया जा रहा है, लेकिन लगातार हो रही बारिश और बार-बार हो रहे भूस्खलन राहत कार्यों को मुश्किल बना रहे हैं। वहीं, धर्मशाला, देहरा और नूरपुर में 612 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
प्रदेश के एक प्रमुख मार्ग चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे की स्थिति भी बेहद चिंताजनक बनी हुई है। मंडी जिले के चार मील क्षेत्र में लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे यह मार्ग बार-बार बंद हो रहा है। सोमवार को फिर से पहाड़ी से मलबा गिरने के कारण यह रास्ता अवरुद्ध हो गया। इस मार्ग के बंद होने से कुल्लू और मनाली जाने वाले पर्यटकों और स्थानीय यात्रियों को घंटों तक जाम में फंसे रहना पड़ा।
20 जून से अब तक, मानसून ने हिमाचल में भारी तबाही मचाई है। इस बरसता में 98 लोगों की जान जा चुकी है और 178 लोग घायल हुए हैं। जबकि, 34 लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए रेस्क्यू टीमें जुटी हैं। 41 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई है।
इन आपदाओं ने अब तक 1227 कच्चे-पक्के मकानों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा 788 गोशालाएं ध्वस्त हुई हैं और 954 पशुओं की मौत हो चुकी है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, अब तक नुकसान का कुल आंकड़ा 770 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आगामी दिनों के लिए फिर अलर्ट जारी किया है। 15 से 17 जुलाई तक राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश की आशंका जताई गई है। इससे भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
राज्य सरकार और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदियों और नालों के किनारे न जाएं, यात्रा टालें और पहाड़ी ढलानों से दूर रहें। स्कूलों में भी स्थानीय प्रशासन द्वारा स्थिति को देखते हुए छुट्टियों का निर्णय लेने के अधिकार दे दिए गए हैं।