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July 18, 2025

HC की फटकार के बाद सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला, हर कर्मचारी को ट्राइबल क्षेत्र में सेवाएं देना अनिवार्य

हिमाचल में ट्रांसफर सिस्टम में बड़ा बदलाव, मुख्य सचिव ने सभी विभागों को भेजे सख्त निर्देश

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himachal news

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सेवा काल में कम से कम एक बार दुर्गम, ग्रामीण या जनजातीय क्षेत्र में तैनाती को अनिवार्य कर दिया है। 

एक बार दुर्गम क्षेत्रों में देनी ही होगी सेवाएं

यह निर्णय प्रदेश हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद लिया गया है, जिसमें कुछ कर्मचारियों की बार-बार इन कठिन इलाकों में तैनाती और कुछ की पूरी सेवा के दौरान इससे बचाव पर सवाल उठाए गए थे। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की ओर से जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी कर्मचारी को बार-बार दुर्गम या जनजातीय क्षेत्र में नहीं भेजा जाएगा। 

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ट्रांसफर नीति का करें सख्त पालन

उन्होंने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलीय आयुक्तों, उपायुक्तों, निगम और बोर्डों के प्रबंध निदेशकों सहित अन्य स्वायत्त निकायों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि वे ट्रांसफर नीति का सख्ती से पालन करें।

ट्रांसफर में ‘पसंद-नापसंद’ नहीं चलेगी

यह कदम हाईकोर्ट में चल रहे केस भारती राठौर बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य के तहत आया है, जिसमें न्यायालय ने ट्रांसफर नीति के नाम पर हो रही पक्षपातपूर्ण तैनातियों पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि सभी कर्मचारियों की नियुक्तियां संतुलित और पारदर्शी ढंग से की जाएं, ताकि कोई कर्मचारी बार-बार कष्टदायक क्षेत्रों में न भेजा जाए और कोई पूरी तरह बच न निकले।

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पुराने आदेशों की भी याद दिलाई गई

सरकार ने विभागों को वर्ष 2013 के सीजीपी ट्रांसफर गाइडलाइंस की भी याद दिलाई है, जिसमें पहले से ही कर्मचारियों के लिए दुर्गम क्षेत्रों में एक कार्यकाल अनिवार्य किया गया था। मुख्य सचिव ने दोहराया है कि अब नए सिरे से सभी विभागों को वर्तमान पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा करनी होगी और इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम भी विकसित किया जा सकता है।

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अनुपालन नहीं हुआ तो होगी कार्रवाई

निर्देशों में यह भी साफ कर दिया गया है कि यदि कोई विभाग इन नियमों का पालन नहीं करता, तो संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले का मकसद कर्मचारियों में बराबरी की भावना पैदा करना और जनजातीय व दुर्गम क्षेत्रों में सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

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