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July 10, 2025

हिमाचल आपदा- 85 लोगों ने गंवाया जीवन, 37 मलबे में दफन- नहीं मिल रहा कोई सुराग

पांच जिलों में बारिश का यलो अलर्ट जारी

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Himachal Monsoon

शिमला। हिमाचल में इस बार मानसून अपनी सामान्य रफ्तार से काफी कमजोर साबित हो रहा है। मौसम विभाग ने आगामी पांच दिनों तक प्रदेश में भारी बारिश की संभावना से इनकार किया है। केवल वीरवार और शुक्रवार को ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और सिरमौर जिलों में कहीं-कहीं हल्की बारिश के आसार जताए गए हैं।

धीमी पड़ी बारिश का रफ्तार

हालांकि, बारिश की रफ्तार धीमी पड़ी है, लेकिन इससे होने वाला नुकसान लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून की कमजोरी की मुख्य वजह 'मानसून ट्रफ लाइन' का दक्षिण की ओर झुकाव है।

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क्यों कमजोर पड़ा मानसून?

आमतौर पर यह ट्रफ लाइन उत्तर-पश्चिम भारत से बंगाल की खाड़ी तक फैले एक निम्न दबाव क्षेत्र को दर्शाती है। यह ट्रफ नमी खींचने और बारिश को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन इस बार यह ट्रफ उत्तर की ओर बढ़ने के बजाय दक्षिण की ओर झुक गई है, जिससे हिमाचल में बादल नहीं बन पा रहे और बारिश की तीव्रता कम हो गई है।

मौत का आंकड़ा चिंताजनक

अब तक इस मानसून सीजन में हिमाचल में 85 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े इस बात को साफ दर्शाते हैं कि कम बारिश के बावजूद मौसमी आपदाएं किस कदर जानलेवा साबित हो रही हैं।  जबकि, करीब 290 लोग घायल हुए हैं और 37 लोग अब भी मलबे में कहीं दफन हैं। इन लोगों का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। इनमें-

  • 31 लोग सड़क हादसों में
  • बादल फटने से 14
  • बाढ़ में 8
  • डूबने से 9
  • ऊंचाई से गिरने से 10
  • बिजली करंट
  • सांप के काटने
  • अन्य कारणों से भी कई जानें गई हैं।

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718 करोड़ की संपत्ति का नुकसान

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, अब तक 718 करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। सड़कों का बह जाना, पुलों का टूटना, मकानों का गिरना और खेती-बाड़ी को नुकसान, यह सब इस भारी नुकसान का हिस्सा हैं। कई ग्रामीण इलाकों में अभी भी सड़क संपर्क पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाया है।

स्कूल नहीं पहुंचे 200 बच्चे

चंबा जिले के तीसा उपमंडल की थल्ली और गडफरी पंचायतों को जोड़ने वाला पंगोला नाला मंगलवार को बादल फटने से आए सैलाब की चपेट में आ गया। इससे थल्ली-गडफरी सड़क मार्ग पूरी तरह बह गया, जिसके चलते बुधवार को करीब 200 स्कूली बच्चे थल्ली विद्यालय नहीं पहुंच पाए। स्थानीय लोगों की आवाजाही भी ठप हो गई है और प्रशासन को वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी पड़ रही है।

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सतर्कता और तैयारी की जरूरत

भले ही इस समय भारी बारिश की संभावना कम है, लेकिन हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में कम वर्षा भी बड़ा संकट बन सकती है, खासकर अगर वह बाढ़ या भूस्खलन के रूप में सामने आए। आपदा प्रबंधन एजेंसियों को सतर्क रहने की जरूरत है और लोगों को भी हरसंभव एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।

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