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October 22, 2025
हिमाचल : पंचतत्व में विलीन हुए शहीद सुशील, बेटे ने दी मुखाग्नि- नम हुई हर किसी की आंखें
सैन्य सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार
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हमीरपुर। वीरभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के एक और लाल की शहादत से आज सूबे का हमीरपुर जिला गमगीन हो उठा है। बुधवार दोपहर उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा तो पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। गांव के लोगों ने अपने वीर बेटे सुशील कुमार का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया।
बतौर रिपोर्टर्स, शहीद सुशील कुमार के बेटे नक्ष राणा और भाई तिलक कुमार ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। 38 वर्षीय सुशील कुमार सेना में 13 रेजीमेंट में बतौर नाइक अपनी सेवाएं दे रहा था। सुशील कुमार की पोस्टिंग सहजाबाद में थी। यहीं पर ड्यूटी के दौरान अचानक उन्हें चक्कर आ गया और उनकी मौत हो गई।
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जब सेना के वाहन से तिरंगे में लिपटी सुशील कुमार की पार्थिव देह गांव पहुंची तो हर आंख नम हो गई। पत्नी, दादी और मासूम बेटे-बेटी का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरा गांव शोकाकुल वातावरण में डूब गया। शोक के इस माहौल में “अमर रहे हमारे वीर” के नारे गूंज उठे, जिसने वातावरण को भावुक बना दिया।
जानकारी के अनुसार, बीते सोमवार तड़के करीब चार बजे उन्हें अचानक चक्कर आने लगे। साथियों ने तुरंत उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें कमांडो हॉस्पिटल रेफर किया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके और सोमवार शाम करीब सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सेना ने पूरे सम्मान के साथ उनका पार्थिव शरीर लखनऊ से चंडीगढ़ तक हवाई जहाज से भेजा। वहां से एंबुलेंस के माध्यम से बुधवार दोपहर बारह बजे पार्थिव शरीर पनियाला गांव पहुंचा। परिवार और ग्रामीणों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी।
सुशील कुमार अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनके असमय निधन ने परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है। उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है, जबकि छोटा बेटा नक्ष और बेटी अपने पिता की अंतिम यात्रा को मासूम निगाहों से निहारते रह गए।
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गांव की महिलाओं का भी दर्द छलक पड़ा, हर किसी की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। भाई तिलक कुमार ने बताया कि कुछ ही दिन पहले सुशील घर आए थे और सबको बताया था कि वह जल्द फिर से छुट्टी लेकर आएंगे। किसी को क्या पता था कि वही उनका आखिरी वादा साबित होगा।
बुधवार को गांव में पूरे सैन्य रीति-रिवाजों के तहत अंतिम संस्कार किया गया। भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें सलामी दी और तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को अंतिम बार “भारत माता की जय” के नारों के बीच विदा किया गया।
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इस दौरान क्षेत्र के विधायक सुजानपुर, तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी और कहा कि सुशील कुमार ने देश सेवा में अपना जीवन समर्पित किया है। उनका यह बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
ग्रामीणों ने कहा कि सुशील कुमार हमेशा मिलनसार और जिम्मेदार व्यक्ति थे, जिन पर पूरा परिवार निर्भर था। उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकेगी। सुशील कुमार की याद में गांव के मंदिर प्रांगण में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे।