#विविध
July 17, 2025
हिमाचल का वीर सपूत रमेश पंचतत्व में विलीन, 10 वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्निदी मुखाग्नि; पत्नी ने की भावुक अपील
एसएसबी में एएसआई के पद पर तैनात थे रमेश कुमार सैन्य सम्मान से दी अंतिम विदाई
शेयर करें:
बैजनाथ (कांगड़ा)। देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल ने आज अपने दो जवानों को खो दिया है। किन्नौर के जवान पुप्पेंद्र के बाद अब कांगड़ा जिला के वीर सपूत रमेश कुमार का भी सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। कांगड़ा जिला के उपमंडल बैजनाथ के धरेड़ गांव की धरती इस वीर सपूत की विदाई की गवाह बनी, जब सशस्त्र सीमा बल एसएसबी में एएसआई के पद पर तैनात रमेश कुमार का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
अपने पिता को अंतिम विदाई देने के लिए 10 वर्षीय बेटे कनव ने कांपते हाथों से चिता को मुखाग्नि दी। इस भावुक क्षण ने हर आंख को नम कर दिया। सैंकड़ों लोगों की मौजूदगी में जवान रमेश कुमार को अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान रमेश कुमार अमर रहें के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। इस दौरान पार्थिव देह के साथ आए जवानों ने अपने साथी को अंतिम श्रद्धांजली अर्पित की।
इससे पहले गुरुवार दोपहर जैसे ही जवान रमेश की देह उनके पैतृक गांव पहुंची तो घर में चीख पुकार मच गई। शहीद की पत्नी और बूढ़ी मां तिरंगे में घर पहुंचे बेटे से लिपट कर फूट फूट कर रोने लगी। इस मार्मिक दृश्य को देख कर वहां मौजूद हर शख्स की आंखों से आंसू बहने लगे। कुछ देर पार्थिव देह को घर में रखने के बाद उसे अंतिम विदाई देने के लिए श्मशानघाट ले जाया गया।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : पत्नी ने शहीद पति से किया ऐसा अंतिम वादा, सुनकर भावुक हो गए बुजुर्ग माता-पिता
बता दें कि रमेश कुमार, वर्ष 2002 में एसएसबी में भर्ती हुए थे और हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नई तैनाती मिली थी। वर्तमान में वे सब.इंस्पेक्टर पद के लिए प्रशिक्षण ले रहे थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। चार दिन पहले नियमित सैन्य अभ्यास के दौरान दौड़ लगाते हुए वह अचेत होकर गिर पड़े। सैन्य एम्बुलेंस में उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।
अंतिम संस्कार के दौरान रमेश कुमार की पत्नी, जो सिरमौर जिला के नाहन के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं, ने अपने दर्द को शब्दों में ढालते हुए समाज से भावनात्मक अपील की। उन्होंने कहा, "मैं चाहती हूं कि "विधवा शब्द" को इन वीर पत्नियों से हटाया जाए। क्योंकि एक "फौजी कभी मरता नहीं, वह देश की सेवा करते हुए अमर हो जाता है"। उसका परिवार भी शौर्य की मिसाल बन जाता है।
भीड़ में उपस्थित हर व्यक्ति उस समय स्तब्ध रह गया जब रमेश कुमार की वृद्ध मां जोगिंद्रा देवी को सैन्य अधिकारियों द्वारा प्रशंसा पत्र और राहत राशि का चैक सौंपा गया। उन्होंने बहुत देर तक जवानों को एकटक देखा, मानों उनमें अपने बेटे की छवि खोज रही हों।
धरेड़ गांव की पगडंडियां आज एक वीर को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों से भरी थीं। विधायक किशोरी लाल, एसडीएम संकल्प गौतम, डीएसपी अनिल शर्मा, स्क्वाड्रन कमांडर कमल कुमार, कैप्टन राकेश कुमार, पूर्व विधायक और पूर्व प्रधान समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि व ग्रामीण मौजूद रहे।
रमेश कुमार कुछ दिन पहले ही शिमला से गोरखपुर तबादले के दौरान अपने गांव आए थे और परिवार से जल्द लौटने और छुट्टियां बिताने का वादा कर गए थे। लेकिन अब उनका लौटना केवल तिरंगे में लिपटे ताबूत में हुआ। रमेश के घर में उसकी बूढ़ी मां के अलावा पत्नी और दो बच्चे हैं। बेटा कनव और बेटी शैवी अब जीवन की नई चुनौती के साथ आगे बढ़ेंगे, लेकिन उन्हें यह गर्व हमेशा रहेगा कि उनके पिता देश की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।