#विविध
June 1, 2025
बुरे फंसे SP शिमला- कोर्ट में दायर किया था झूठा शपथ पत्र, अदालत को गुमराह करने की कोशिश
एनडीपीएस एक्ट के असंवैधानिक प्रावधान का हवाला देकर दिया गया था जवाब
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शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक गंभीर मामले में आईपीएस अधिकारी संजीव गांधी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आरोप है कि संजीव गांधी ने अदालत में ऐसा हलफनामा दायर किया, जो प्रथम दृष्टया झूठा पाया गया और जिससे अदालत को गुमराह करने का प्रयास प्रतीत हुआ।
कोर्ट ने आईपीएस संजीव गांधी को निर्देश दिए हैं कि यदि वांछित हो तो वे तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करें और यह स्पष्ट करें कि उनके खिलाफ झूठा शपथपत्र दायर करने के लिए अनुशासनात्मक या कानूनी कार्यवाही क्यों न की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद पुराना कानून बताकर किया बचाव
यह मामला एक आपराधिक अपील से जुड़ा है जिसमें अपीलकर्ता गुड्डू राम ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मिली सजा को निलंबित करने की याचिका दायर की थी। इस याचिका के जवाब में तत्कालीन एसपी शिमला संजीव गांधी द्वारा दायर हलफनामे में दावा किया गया था कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 32(ए) सजा के निलंबन पर विशिष्ट प्रतिबंध लगाती है।
लेकिन न्यायाधीश राकेश कैंथला ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस धारा को इस सीमा तक असंवैधानिक करार दे चुका है कि वह अदालत के सजा निलंबन के अधिकार को सीमित नहीं कर सकती। इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से उसी असंवैधानिक धारा का हवाला देकर जवाब दिया गया।
गुड्डू राम की सजा पर हाईकोर्ट का रुख
कोर्ट ने गुड्डू राम की सजा को मुख्य अपील के निपटारे तक निलंबित करते हुए आदेश दिया कि चूंकि उसे 18 महीने की कठोर कारावास और 18 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है, और अपील में समय लग सकता है, इसलिए ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को फिलहाल के लिए स्थगित किया जाता है।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट किसी कानून की धारा को असंवैधानिक घोषित कर चुका है, तो उस धारा के आधार पर हलफनामा दायर करना न केवल अवैध है, बल्कि न्यायालय को गुमराह करने की गंभीर कोशिश भी है।
संजीव गांधी पर कार्रवाई की तलवार लटकी
अब आईपीएस संजीव गांधी पर यह जवाबदारी है कि वे तीन सप्ताह में अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखें और यह स्पष्ट करें कि आखिर क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय को गुमराह करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।