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November 7, 2025
हिमाचल के सरकारी टीचरों को क्लास में करना होगा 'फोटोशूट', नहीं तो जाएगी नौकरी
सुक्खू सरकार के इस फैसला का बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा असर
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब स्कूलों में शिक्षण कार्य की निगरानी पहले से अधिक सख्त और तकनीकी तरीके से की जाएगी। अब कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को पढ़ाते वक्त सेल्फी लेना अनिवार्य होगा।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने एक नई डिजिटल मॉनीटरिंग व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल लेक्चरर वास्तव में नौवीं और दसवीं की कक्षाओं में पढ़ा रहे हैं या नहीं। यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि TGT पदों पर रिक्तियां रहने की स्थिति में भी विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
नई व्यवस्था के अनुसार, लेक्चरर जब नौवीं और दसवीं की कक्षाएं लें, तो उस दौरान की एक फोटो प्रधानाचार्य के माध्यम से जिला शिक्षा उपनिदेशक को भेजनी होगी। यह फोटो इस बात का प्रमाण होगी कि लेक्चरर विभागीय आदेशों के अनुसार शिक्षण कार्य कर रहे हैं। कांगड़ा जिला के उच्चतर शिक्षा उपनिदेशक ने इस संबंध में सभी स्कूल प्रधानाचार्यों को लिखित आदेश जारी किए हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में यह प्रावधान किया गया है कि स्कूल लेक्चरर केवल 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें नौवीं और दसवीं की कक्षाओं में भी पढ़ाना होगा। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक इस नीति को पूरी तरह लागू कर दिया जाए।
हालांकि, शुरुआत में कुछ विद्यालयों के लेक्चररों ने अतिरिक्त जिम्मेदारी का हवाला देते हुए इस निर्णय का विरोध भी किया था, मगर अब विभाग ने साफ संकेत दे दिया है कि “जो पढ़ाएगा, वही दिखेगा।”
आदेशों में कहा गया है कि अगर लेक्चरर नौवीं-दसवीं को पढ़ा रहे हैं, तो पढ़ाते समय की फोटो भेजी जाए। अगर किसी कारणवश वे कक्षा नहीं ले पा रहे हैं, तो उसका कारण स्पष्ट रूप से बताया जाए। स्कूलों में कांप्लेक्स प्रणाली और प्रतिनियुक्ति व्यवस्था सुचारू बनी रहे। किसी भी कक्षा की पढ़ाई बाधित न होने दी जाए।
शिक्षा विभाग के अनुसार, कई विद्यालयों में जब शिक्षक छुट्टी पर जाते हैं या पद खाली होते हैं, तो विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। अब डिजिटल निगरानी से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अध्यापन कार्य में कोई रिक्तता न रहे और जिम्मेदारी तय हो सके।
उच्चतर शिक्षा विभाग, कांगड़ा की उपनिदेशक कमलेश कुमारी ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए यह व्यवस्था जरूरी है। अब लेक्चरर केवल 11वीं-12वीं ही नहीं, बल्कि नौवीं और दसवीं को भी पढ़ाएंगे। शिक्षण कार्य की निरंतरता ही हमारी प्राथमिकता है।