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April 5, 2025
हिमाचल का बुरा हाल: उधार पर स्कूली बच्चों की किताबें छाप रहा है शिक्षा विभाग, जानें कितनी है देनदारी
बच्चों के पैरेंट्स से हो रही है वसूली
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शिमला। गले तक कर्ज में डूबी हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार का ही नहीं, सरकार के कई प्रमुख विभागों का भी इस समय बुरा हाल है। स्कूली बच्चों को फ्री में किताबें देने वाला राज्य का शिक्षा विभाग उधार में किताबें छपवा रहा है। छपाई के लिए शिक्षा विभाग पर 80 करोड़ रुपए की देनदारी हो गई है। अब विभाग ने पिछले दरवाजे से इस कर्ज की वसूली बच्चों के माता-पिता की जेब से करने के आदेश दिए हैं।
बीते 21 मार्च को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी कर पुनर्मूल्यांकन तथा पुनर्निरीक्षण की फीस दोगुनी कर दी। इसके बाद 10 दिन पहले की अधिसूचना में परीक्षा केंद्रों पर कम स्टूडेंट्स की फीस भी दोगुनी की गई।
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पुनर्मूल्यांकन तथा पुनर्निरीक्षण की फीस बढ़ाने से तो आपकी जेब सीधे ही कट जाएगी, क्योंकि जो भी स्टूडेंट इसके लिए आवेदन करेंगे, उनके माता-पिता को ही इसका खर्च उठाना होगा। वहीं, परीक्षा केंद्रों पर शॉर्ट अटेंडेंस के लिए दोगुनी फीस का खर्च अभी शिक्षकों को उठाना होगा। परीक्षाएं खत्म होने के बाद जारी की गई शिक्षा विभाग की अधिसूचना के कारण टीचरों को दोगुनी हुई फीस देनी होगी। लेकिन बाद में यह रकम भी पैरेंट्स से ही वसूली जाएगी।
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हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने सालों बाद टीचरों के लिए परीक्षा संचालन और मूल्यांकन का मानदेय 10% से 15% तक बढ़ाया है। लेकिन दूसरी ओर दूसरे शुल्क को डबल कर दिया है। अब टीचर्स यूनियन कंगाली की कगार पर पहुंच चुके शिक्षा बोर्ड की इस तानाशाही से गुस्साया हुआ है।
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शिक्षकों का गुस्सा इसलिए भी जायज है, क्योंकि बोर्ड ने इस साल परीक्षा खत्म होने के बाद भी टीचर्स को वैल्यूएशन का पिछला मानदेय भी नहीं दिया है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड लंबे समय से बिना अध्यक्ष के काम कर रहा है। ऐसे में फीस दोगुनी करने की अधिसूचनाओं को बोर्ड के मौजूदा अफसरों की तानाशाही माना बताया जा रहा है।