#विविध
November 17, 2025
हिमाचल की मासूम नितिका का हरियाणावी ने भाई बन थामा हाथ, हर महीने भेज रहा मदद
युवकों ने उठाया नितिका का जिम्मा- पिछले पांच महीने से भेज रहे पैसे
शेयर करें:

मंडी। हिमाचल प्रदेश में इस साल बरसात कहर बनकर बरपी है। 30 जून की रात मंडी जिले के लिए एक ऐसी काली रात थी- जिसने कई हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ दिया। 30 जून को भारी बारिश के कारण आई तबाही ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
इसी में एक परिवार ऐसा था- जिसकी महज 11 महीने की मासूम बच्ची जिंदा बची। जबकि, बच्ची के माता-पिता व दादी मलबे के सैलाब में बह गए। वो मासूम बच्ची अगले दिन घर से सही-सलामत मिली। जैसे लोगों को बच्ची के साथ हुई घटना का पता चला- कई लोगों ने उसे गोद लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाया। मगर बच्ची की बुआ ने उसे खुद पालने का फैसला लिया।
वहीं, बच्ची की मदद के लिए कई हाथ आगे आए। किसी ने बच्ची की पढ़ाई का खर्च उठाया। किसी ने ऐसे उसके नाम पैसे जमा करवा दिए- ताकि बच्ची के भरण-पोषण में कोई कमी ना रहे। इन्हीं में शामिल हैं यह चार युवक भी- जो मासूम नितिका को अपनी बहन मानते हैं। इनमें-
हरियाणा के रमेश कुमार, सुंदरनगर के आवेश राणा, कुल्लू के अमन कुमार और कांगड़ा के रजत ठाकुर—इन चारों ने नितिका को अपनी छोटी बहन मानकर उसके भविष्य का जिम्मा उठाने का फैसला किया है।
पिछले पांच महीनों से ये सभी युवा हर महीने आर्थिक सहयोग भेज रहे हैं ताकि नितिका की पढ़ाई और जरूरतें पूरी हो सकें। तीन युवक बुआ किरणा देवी को ऑनलाइन सहायता भेजते हैं और अमन पोस्ट ऑफिस की आरडी योजना में नितिका के नाम पैसा जमा करता है।
चार महीने बीत जाने के बाद भी नितिका की मां और दादी का कोई पता नहीं चल पाया है। प्रशासन अभी भी उनकी खोज में लगा हुआ है। पिता का शव घटना के अगले दिन मिला था, लेकिन इन दोनों का अब तक कुछ पता नहीं है।
प्रशासन की ओर से अभी तक उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है,पिता के नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र पहले ही जारी किया जा चुका है। मां और दादी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होते ही किरणा देवी को कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।
नन्ही नितिका की कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तक पहुंची। प्रधानमंत्री ने 2 लाख रुपये की राहत राशि दी। मुख्यमंत्री ने 21 लाख रुपये की एफडी नितिका के नाम कराने की घोषणा की। ये मदद दिखाती है कि जब किसी पर मुसीबत आती है, तो पूरा देश साथ खड़ा हो जाता है।
नितिका की बुआ किरना देवी, जो उसकी देखभाल कर रही हैं, बूआ पूरी तरह से कानूनी अभिभावक बनने की प्रक्रिया में हैं। प्रशासन ने उन्हें नितिका का बैंक खाता और पासबुक सौंप दी है। इस खाते में इस समय करीब 7.95 लाख रुपये जमा हैं, जिन्हें नितिका के 18 साल होने के बाद ही निकाला जा सकेगा।
आज नितिका अपनी बुआ की गोद में सुरक्षा और प्यार पा रही है। उसे बहन मानने वाले चारों युवा हर महीने उसका हाथ थामकर यह भरोसा देते हैं कि वह अकेली नहीं है। नितिका की मुस्कान अब सिर्फ एक बच्चे की मुस्कान नहीं, बल्कि उस उम्मीद की चमक है कि इंसानियत अभी भी जिंदा है। उसकी छोटी-सी हंसी कई दिलों में दुआ बनकर जगह बना चुकी है। आपदा ने नितिका का परिवार छीन लिया, लेकिन उसे नया परिवार, नया सहारा और नई उम्मीद मिल गई।