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July 8, 2025
हिमाचल फ्लड : छोटी बच्ची ने तोड़ी गुल्लक, पिता को 1660 रुपये दे बोली- लोगों को भेजो सामान
आपदा पीड़ितों के लिए बच्ची ने की पहल
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मंडी। जब आपदा किसी क्षेत्र को अपने शिकंजे में कसती है, तो वहीं कहीं किसी कोने से मानवता की उम्मीद की लौ भी जल उठती है। हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर की एक नन्ही सी बच्ची ने इसी उम्मीद को जमीनी हकीकत में बदला है।
छठी कक्षा की छात्रा मोक्षथिका ठाकुर ने अपनी गुल्लक तोड़कर 1660 रुपये निकाले और ये पैसे अपने पापा के हाथों में थमाते हुए कहा “पापा, इन पैसों से सराज के आपदा पीड़ितों के लिए कुछ जरूरी सामान ले लेना।”
इतना कहने के बाद मोक्षथिका रुकी नहीं, उसने माता-पिता से भी आग्रह किया कि वे भी अपनी ओर से थोड़ा सहयोग जोड़ें, ताकि अधिक परिवारों तक मदद पहुंच सके। उसकी इस मासूम लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति ने माता-पिता की आंखों को नम कर दिया, पर दिल को गर्व से भर दिया।
मोक्षथिका के पिता कर्म सिंह ठाकुर, जो कपाही क्षेत्र में एक निजी स्कूल के संचालक हैं, ने बेटी की सोच को आगे बढ़ाने का निश्चय किया। उन्होंने अगले ही दिन स्कूल स्टाफ की एक आपात बैठक बुलाई और मोक्षथिका की भावना सभी शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने रखी।
यह पहल जल्द ही एक अभियान में बदल गई। स्कूल के अध्यक्ष हरी सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन और प्रधानाचार्य वीरेंद्र भारती, फाउंडर सदस्य कर्म सिंह ठाकुर तथा पूर्व प्रधानाचार्य रुक्मणि ठाकुर के सहयोग से पूरे स्कूल स्टाफ ने आपदा राहत सामग्री की 100 किट तैयार कीं। इन किट्स में राशन, कपड़े और अन्य जरूरी सामान शामिल था।
रविवार की शाम स्कूल के शिक्षक, कर्मचारी और सहयोगी एकजुट होकर थुनाग क्षेत्र में आपदा प्रभावित परिवारों तक यह मदद पहुंचाने निकले। राहत दल में एसएमसी अध्यक्ष बनिता, अध्यापिकाएं मंजू वर्मा, कुसुम ठाकुर, लकी ठाकुर, बस चालक जयलाल ठाकुर, कर्मचारी सरला देवी और घनश्याम राणा भी शामिल रहे।
छोटे-से गांव से उठी एक बच्ची की सोच ने यह साबित कर दिया कि मदद करने के लिए उम्र की नहीं, भावना की जरूरत होती है। मोक्षथिका की पहल ने न केवल प्रभावितों को राहत दी, बल्कि पूरे क्षेत्र के बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों को भी यह सोचने पर मजबूर किया कि हम सब समाज के लिए क्या कर सकते हैं।
विदित रहे कि, 20 जून से शुरू हुए मानसून सीजन ने अब तक 78 लोगों की जान ले ली है। जबकि, करीब 290 लोग घायल हुए हैं और 37 लोग अब भी मलबे में कहीं दफन हैं। इन लोगों का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। इससे स्पष्ट है कि हिमाचल में मानसून सिर्फ पानी ही नहीं, जानलेवा खतरे भी लेकर आया है। इनमें-