#विविध
April 25, 2025
सिंधु जल समझौते के रद्द होने से भारत का पावर हब बन सकता है हिमाचल, जानें कैसे
चिनाब पर 30 प्रोजेक्ट्स को लेकर पाकिस्तान ने लगाया था अड़ंगा
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शिमला। जम्मू-क्श्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत से पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी जल समझौते को रद्द कर दिया है। भारत के इस कदम से हिमाचल प्रदेश को सबसे ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि समझौते के कारण हिमाचल चिनाब नदी पर कोई हाइड्रो प्रोजेक्ट नहीं लगा पा रहा था। अब समझौता रद्द होने से हिमाचल हाइड्रो पावर हब बन सकता है।
हिमाचल प्रदेश चिनाब नदी पर 30 हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी कर चुका है, लेकिन हर बार इस समझौते की आड़ में पाकिस्तान ने अड़ंगा लगाया। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश इस नदी के पानी का सिंचाई के लिए इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहा है।
चिनाब नदी लाहौल-स्पीति से चंद्रा और भागा नदी के रूप में निकलती है। तांदी के पास दोनों नदियों का संगम होता है और फिर वह चंद्रभागा नदी बन जाती है। जम्मू-कश्मीर में दाखिल होते ही इन नदी का नाम चिनाब हो जाता है। हिमाचल प्रदेश में चंद्रभागा नदी करीब 960 किलोमीटर क्षेत्र में औसतन 800.60 क्यूसिक मीटर पानी लेकर चलती है। इस पूरे क्षेत्र में आलू और मटर की फसल काफी बोई जाती है। लेकिन सिंधू जल समझौते के कारण भारत को चिनाब, झेलम और सिंधु नदी के पानी का उपयोग करने का अधिकार नहीं है।
इससे पहले पाकिस्तान ने इन तीनों नदियों पर प्रस्तावित करीब 30 हाइड्रो प्रोजेक्ट का जमकर विरोध किया, जिसके कारण ये परियोजनाएं लग नहीं पाईं। इनमें थियोट का प्रोजेक्ट भी शामिल है, लेकिन बिना पानी रोके 4.5 मेगावाट के इस प्रोजेक्ट को बनाया गया है। अब जबकि, भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है, अब पाकिस्तान को इस नदी के साथ ही चिनाब के पानी के उपयोग को लेकर भी आपत्ति जताने का कोई अधिकार नहीं होगा।
हिमाचल प्रदेश की कुल हाइड्रो पावर उत्पादन क्षमता लगभग 27,436 मेगावाट आंकी गई है। इसमें से केवल 24% क्षमता का ही अब तक दोहन हुआ है। अगर हिमाचल को झेलम पर भी हाइड्रो पावर लगाने का हक मिल जाए तो राज्य भारत का हाइड्रो पावर हक बन सकता है। इससे न केवल हिमाचल प्रदेश, बल्कि भारत को भी बहुत फायदा होगा, क्योंकि नेशनल ग्रिड से जुड़कर हिमाचल प्रदेश की बिजली देश के हर कोने को रोशन करेगी।