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May 24, 2025
हिमकेयर के लिए सुक्खू सरकार ने जारी किए 40 करोड़, इन सरकारी अस्पतालों को मिलेगी राहत
निजी अस्पतालों को भी राहत का इंतजार
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शिमला। सुक्खू सरकार ने हिम केयर योजना के लंबित भुगतानों को लेकर स्वास्थ्य संस्थानों के लिए 40 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। सुक्खू सरकार के इस फैसले के बाद सरकारी अस्पतालों को राहत मिलने की उम्मीद है।
यह राशि फिलहाल प्रदेश के तीन प्रमुख अस्पतालों के लिए स्वीकृत हुई है, जिनमें शिमला स्थित IGMC, कांगड़ा का डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा और चंडीगढ़ स्थित PGI शामिल हैं।
वित्त और योजना विभाग से मिली स्वीकृति के बाद अब स्वास्थ्य विभाग इस धनराशि को संबंधित अस्पतालों तक भेजेगा। मिली जानकारी के अनुसार, IGMC शिमला और टांडा मेडिकल कॉलेज को 15-15 करोड़ जबकि PGI चंडीगढ़ को 10 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
हालांकि, यह धनराशि अभी हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजनाओं की कुल पेंडेंसी के मुकाबले काफी कम है। मौजूदा समय में इन दोनों योजनाओं के तहत कुल देनदारी 426 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इसमें से 124 करोड़ रुपये की राशि निजी अस्पतालों और डायलिसिस केंद्रों की है, जो अब भी मरीजों को सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें कई महीनों से भुगतान नहीं हुआ है।
निजी अस्पतालों और सेंटरों का कहना है कि उन्होंने राज्य सरकार के निर्देशों के तहत अब तक डायलिसिस सेवाएं जारी रखी हैं। हिमकेयर योजना के तहत उन्हें प्रति डायलिसिस 1500 रुपये का भुगतान होना था, लेकिन महीनों से कोई राशि नहीं मिली। बीते सप्ताह इन डायलिसिस संचालकों ने शिमला में स्वास्थ्य मंत्री और सचिव से मुलाकात कर बकाया जल्द दिलाने की मांग भी उठाई थी।
सरकारी अस्पतालों पर पेंडेंसी की मार सीधी पड़ी है। IGMC, टांडा मेडिकल कॉलेज और एम्स जैसे संस्थानों में बकाया राशि अधिक होने के कारण हिमकेयर के अंतर्गत इलाज की गति काफी धीमी हो चुकी है। मरीजों को निःशुल्क इलाज मिलने में दिक्कत आ रही है। कई बार अस्पताल प्रशासन को भी संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा है।
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लंबित भुगतानों की वजह से अस्पतालों की आंतरिक व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। जहां पहले योजना के अंतर्गत मरीजों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जाता था, वहीं अब औपचारिकताएं और विलंब दोनों बढ़े हैं।
एक ओर जहां हिमकेयर को लेकर आंशिक राहत दी गई है, वहीं केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को लेकर राज्य सरकार असमंजस में है। योजना विभाग के दस्तावेजों के अनुसार, आयुष्मान में राज्य को अपेक्षा से अधिक वित्तीय भार उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि राज्य स्तर पर इस योजना के तहत स्टेट शेयर का भुगतान कर पाना अब संभव नहीं बताया जा रहा।
इस पूरे मसले पर कैबिनेट स्तर पर भी विचार-विमर्श जारी है। हिमकेयर और सहारा योजना को लेकर पूर्व में दो बार कैबिनेट में प्रेजेंटेशन दी जा चुकी है। इन योजनाओं का भविष्य कैबिनेट के आगामी निर्णयों पर निर्भर करता है।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल 40 करोड़ रुपये की राशि जारी कर एक अंतरिम समाधान किया गया है ताकि कम से कम बड़े सरकारी संस्थानों में सेवाएं पूरी तरह न रुकें। विभाग ने इस राशि के शीघ्र वितरण के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।