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May 24, 2025

हिमाचल की बेटी ने दृष्टिबाधा को मात देकर फतेह किया माउंट एवरेस्ट, बचपन में चली गई थी रोशनी- रचा इतिहास

बैंक में कार्यरत हैं छोंजिन अंगमो

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Mountaineer Chonjin

रिकांगपिओ। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम किन्नौर जिले की बेटी छोंजिन अंगमो ने वह कर दिखाया है जो अब तक किसी भी दृष्टिबाधित महिला ने नहीं किया था। 28 वर्षीय छोंजिन ने 19 मई को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर नया इतिहास रच दिया है।

विश्व की इकलौती महिला

बता दें कि हिमाचल की बेटी छोंजिन अंगमो भारत और विश्व की पहली नेत्रहीन महिला बन गई हैं जिन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। जिसके बाद पूरे प्रदेश में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।

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बचपन में चली गई थी रोशनी

छोंजिन अंगमो की आंखों की रोशनी आठ साल की उम्र में एक दवा से हुई एलर्जी के कारण चली गई थी। मगर उन्होंने कभी हालात को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। तीसरी कक्षा के बाद माता-पिता ने उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल में दाखिला दिलाया, जहां से उनका जीवन एक नई दिशा में बढ़ा।

यूनियन बैंक ने थामा हाथ

कई संस्थाओं से मदद की गुहार लगाने के बाद भी जब कोई आगे नहीं आया, तब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने छोंजिन के सपनों को पंख दिए। वर्तमान में वे इसी बैंक की दिल्ली शाखा में ग्राहक सेवा सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं।

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कठिन ट्रेनिंग और सशक्त इरादे

2016 में उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण लिया और "सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु" का पुरस्कार भी जीता। इसके बाद उन्होंने लद्दाख की कई चोटियों पर विजय प्राप्त की जिनमें सियाचिन कुमार पोस्ट (15632 फीट) और एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) शामिल हैं।

राष्ट्रपति से मिला राष्ट्रीय सम्मान

उनकी उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 2024 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा छोंजिन को ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम की हिस्सा

2021 में वे ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम का हिस्सा बनीं, जो कि सशस्त्र बलों के पूर्व सैनिकों द्वारा विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के लिए चलाया गया अभियान था। इस मिशन में छोंजिन ने सियाचिन ग्लेशियर जैसी चुनौतीपूर्ण जगह पर भी अपनी हिम्मत का लोहा मनवाया।

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