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December 27, 2025

IGMC मामला: रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पर सख्त हुई सुक्खू सरकार, कार्रवाई की दे दी चेतावनी

नहीं रूकेंगी ओपीडी, आईपीडी, आपातकालीन ऑपरेशन भी होंगे

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, अस्पताल में उपचार करवाने आने वाले मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। लेकिन इस सब के बीच अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ कर दिया है कि मरीजों की जान से किसी तरह से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हड़ताल के ऐलान के साथ ही सरकार सख्त मोड में आ गई है।

सरकारी आदेश पर डीएमईआर ने जारी की एसओपी

सुक्खू सरकार के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय ने पूरे प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के लिए कड़े मानक संचालन प्रक्रिया ;एसओपीद्ध जारी कर दी हैं और अधिकारियों को चेतावनी दी है कि लापरवाही पर सीधी कार्रवाई होगी। आदेशों में कहा गया है कि प्रदेश भर में आपातकालीन सेवाएं पहले की तरह 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन निर्बाध रूप से चलती रहेंगी।

 

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मरीजों की देखभाल में चूक नहीं करेंगे बर्दाश्त

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से शनिवार से शुरू की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच सुक्खू सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी से उतरने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि हड़ताल के बावजूद प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में आवश्यक सेवाएं बाधित नहीं होंगी। मरीजों की देखभाल में जरा सी भी चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इमरजेंसी और ओपीडी पर खास फोकस

डीएमईआर के निर्देशों के अनुसार इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात जूनियर रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट और फैकल्टी सदस्य हर समय उपलब्ध रहेंगे। ओपीडी सेवाएं भी नियमित रूप से जारी रहेंगी और भर्ती मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर उपचार दिया जाएगा। सभी वार्डों में रोजाना राउंड अनिवार्य कर दिए गए हैं, ताकि किसी भी मरीज के इलाज में कमी न रह जाए।

सरकार ने यह भी साफ किया है कि हड़ताल के दौरान नियमित वैकल्पिक सर्जरी को स्थगित रखा जाएगा, लेकिन सभी आपातकालीन ऑपरेशन तय प्रोटोकॉल के अनुसार किए जाएंगे।

 

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जांच और लैब सेवाएं रहेंगी चालू

रेडियोलॉजी सेवाओं में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी जांचें इमरजेंसी और इनडोर मरीजों के लिए प्राथमिकता पर जारी रहेंगी। वहीं पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी लैब में सभी सैंपलों की जांच बिना किसी रुकावट के करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट पढ़ाई, प्रशिक्षण और परीक्षाएं अपने तय कार्यक्रम के अनुसार चलती रहेंगी, ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

अधिकारियों की जिम्मेदारी तय

एसओपी के तहत मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों और विभागाध्यक्षों की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय कर दी गई है। सभी विभागाध्यक्षों को ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी सेवाओं के लिए कंसल्टेंट डॉक्टरों के ड्यूटी रोस्टर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

 

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प्राचार्यों को यह भी आदेश दिए गए हैं कि वे रोजाना शाम चार बजे मेडिकल सुपरिटेंडेंट और सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर सेवाओं की समीक्षा करेंगे और इसकी रिपोर्ट डीएमईआर को भेजेंगे। जरूरत पड़ने पर फैकल्टी की शीतकालीन छुट्टियां रद्द करने का अधिकार भी प्राचार्यों को दिया गया है।

छुट्टी पर नहीं जाएंगे वरिष्ठ अधिकारी

सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं कि इस अवधि में सभी प्राचार्य, अतिरिक्त निदेशक, मेडिकल सुपरिटेंडेंट और उप चिकित्सा अधीक्षक मुख्यालय में मौजूद रहेंगे। बिना अनुमति छुट्टी पर जाने की इजाजत नहीं होगी। एसओपी का उल्लंघन करने या आवश्यक सेवाओं में बाधा डालने पर संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

 

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क्या है मामला

रेजिडेंट डॉक्टरों की यह हड़ताल आईजीएमसी शिमला में मरीज और डॉक्टर के बीच हुए विवाद के बाद शुरू हुई है। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरूला की बर्खास्तगी के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने 27 दिसंबर सुबह 9:30 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है। रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि मुख्यमंत्री से बातचीत और निष्पक्ष जांच के आश्वासन के बावजूद उनकी मुख्य मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। डॉक्टरों का आरोप है कि अस्पताल परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है और हालिया घटना के दौरान डर और दबाव का माहौल बना।

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