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August 31, 2025

हिमाचल में एक और रिवाज टूटा : देव पराशर नाराज, इस बार पवित्र झील में नहीं होगा स्नान

अगर देवता ने संकेत दिए हैं तो भक्तों को उन्हें स्वीकार करना चाहिए

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Devta Prashar Rishi

मंडी। हिमाचल प्रदेश में इस बार बरसात कहर बनकर बरस रही है। प्राकृति से हो रही छेड़छाड़ से कई देवी-देवता नाराज हैं। वहीं, अब देव ऋषि पराशर भी मानवीय दखल के कारण नाराज हो गए हैं।

लोगों से नाराज देव पराशर

मंडी जिले में स्थित देव ऋषि पराशर झील में इस वर्ष होने वाला बीस भादों का मेला और पवित्र स्नान परंपरा से बिल्कुल अलग होगा। पहली बार मंदिर कमेटी ने श्रद्धालुओं के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए झील से दूरी बनाने की अपील की है।

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मेले में नहीं कर पाएंगे स्नान

चार सितंबर को पड़ने वाले इस मेले में भक्त स्नान नहीं कर पाएंगे। मंदिर कमेटी और देव पराशर के कार-करींदे ही सांकेतिक तौर पर स्नान की रस्म निभाएंगे। मंदिर कमेटी ने तर्क दिया है कि इस समय झील का जलस्तर असामान्य रूप से बढ़ा हुआ है।

झील से दूर रहें लोग

ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उतरने से झील की पवित्रता प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही मानवीय हस्तक्षेप ने देव पराशर को नाराज कर दिया है। मंदिर कमेटी के प्रधान बलबीर शर्मा ने साफ कहा कि भक्त तभी झील व मंदिर में आएं जब वे पूरी आस्था और अनुशासन से दर्शन करना चाहते हों, अन्यथा इस बार परहेज करें।

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नाराजगी के संकेत

कमेटी पदाधिकारियों का कहना है कि देव पराशर अपनी नाराजगी पहले ही जता चुके हैं। मंदिर तक सड़क निकालने की कोशिश के दौरान लगातार बारिश ने काम में खलल डाला। क्षेत्र को जोड़ने वाला बागी पुल अब तक तीन बार बह चुका है।

 

ज्वालापुर से बनाई जा रही सड़क पर भी भारी भूस्खलन हुआ है। झील से सटी कालंग पहाड़ी भी लगातार दरक रही है। इन घटनाओं को स्थानीय लोग देव की नाराजगी के संकेत मान रहे हैं।

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आस्था और परंपरा पर असर

बीस भादों का स्नान पराशर झील की सबसे बड़ी परंपरा मानी जाती है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आकर डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं। मगर इस बार भक्तों को यह अवसर नहीं मिलेगा। धार्मिक दृष्टि से यह निर्णय ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले कभी मंदिर कमेटी ने स्नान को लेकर सीधी रोक नहीं लगाई थी।

भक्तों की प्रतिक्रिया

स्थानीय श्रद्धालु मानते हैं कि देव पराशर का आशीर्वाद पाने के लिए आस्था जरूरी है, लेकिन झील की पवित्रता और सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। कई लोगों ने मंदिर कमेटी के निर्णय का समर्थन किया है और कहा कि अगर देवता ने संकेत दिए हैं तो भक्तों को उन्हें स्वीकार करना चाहिए।

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