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March 10, 2025

हिमाचल : बेटियों ने दिया पिता की अर्थी को कंधा, निभाई अंतिम संस्कार की सभी रस्में

फर्नीचर कारोबारी की बेटी ने पूरी की पिता की अंतिम इच्छा

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Kangra News

कांगड़ा। समाज में वर्षों से यह धारणा बनी हुई थी कि अंतिम संस्कार केवल बेटा ही कर सकता है, लेकिन समय बदल रहा है और अब बेटियां भी यह जिम्मेदारी निभा रही हैं। ऐसी ही मिसाल तब देखने को मिली जब बेटियों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी खुद उठाई। यह घटना सिर्फ एक भावनात्मक पहलू नहीं है, बल्कि यह समाज की उस रूढ़िवादी सोच को भी तोड़ता है जो बेटियों को सीमाओं में बांधने की कोशिश करती है।

पिता की अर्थी को दिया कंधा

जब बेटियों ने कंधे पर अपने पिता की अर्थी को उठाया और श्मशान घाट तक ले गईं, तो यह केवल एक रस्म नहीं थी, बल्कि उनके अपने पिता के प्रति अटूट प्रेम और कर्तव्य का प्रतीक था। उन्होंने न केवल पिता की अर्थी को कंधा दिया- उन्होंने चिता को मुखाग्नि भी दी। ऐसे दो मामले हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से सामने आए हैं।

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बेटियों ने दी पिता को मुखाग्नि

यहां देहरा में एक ही दिन में दो अलग-अलग जगहों पर बेटियों ने पिता की अंतिम विदाई को मुखागिन दी। इन बेटियों ने पुरानी परंपरा को दरकिनार करते हुए लोगों को ये संदेश दिया है कि बेटियां भी अपने माता-पिता के लिए हर कर्तव्य निभाने में बेटों के जितनी ही सक्षम हैं।

छोटी बेटी ने निभाई सभी रस्में

पहला मामला देहरा के सकरी से सामने आया है। यहां लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे 57 वर्षीय व्यक्ति रघुवीर सिंह ने उपचार के दौरान टांडा मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया। रघुवीर की छोटी बेटी तन्वी ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशान घाट में अतिंम संस्कार की सभी रस्में भी निभाईं।

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पिता की मौत, गर्म पानी में झुलसा मासूम

रघुवीर की बड़ी बेटी पारुल उसकी मौत के बाद से पहले गी सदमे में थी। इसी बीच एक और दुखद घटना पेश आ गई। पारुल का तीन साल का बेटा गर्म पानी से झुलस गया- जो कि अभी भी टांडा अस्पताल में उपचाराधीन है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

पिता की अंतिम इच्छा को किया पूरा

वहीं, दूसरी घटना सकरी ग्राम पंचायत से सामने आई है। यहां पर प्रतिष्ठित फर्नीचर व्यापारी 80 वर्षीय सतीश सूद का निधन हो गया। सतीश सूद की अंतिम इच्छा थी कि उनके अंतिम संस्कार की सारी रस्में उनकी बेटी निभाए। बेटी अपर्णा सूद ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाई। दोनों ही मामलों में बेटियों को ऐसे कर्तव्य निभाता देख वहां मौजद हर किसी की आंखें नम थी।

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