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March 31, 2025

कम बारिश से सूखने लगे हिमाचल के बड़े बांध, इस बार हो सकती है पानी-बिजली की किल्ल्त 

मार्च में 33 % कम बारिश से भाखड़ा में 20% तो पौंग डैम में महज 13% पानी बचा 

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Himachal Dam start drying

 

 

शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस साल मार्च के महीने में 33% कम बारिश ने लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं। सूखे मॉनसून और बर्फबारी में कमी ने राज्य के बड़े बांधों को भी सुखाना शुरू कर दिया है। भाखड़ा में 20% तो पौंग डैम में महज 13% पानी ही बचा हुआ है। ऐसी स्थिति में बिजली और सिंचाई के लिए पानी की किल्लत बढ़ने की आशंका है।

कुल्लू और मंडी को छोड़कर हर जिला सूखा

मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में 31 मार्च तक अमूमन 113 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश होती है। लेकिन इस साल यह 75.6 मिमी बरसात ही हुई है। सबसे ज्यादा ऊना में 62% कम बारिश दर्ज की गई है।  बिलासपुर में सामान्य से 38, चंबा 58, हमीरपुर 39, कांगड़ा 40, किन्नौर 40, लाहौल-स्पीति 43, शिमला 2, सिरमौर 29, सोलन में 43 फीसदी कम बारिश हुई। केवल कुल्लू में सामान्य से 17 और मंडी में 5 फीसदी अधिक बारिश हुई।

 

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CWC के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता

सेंट्रल वॉटर कमीशन (CWC) के 27 मार्च तक का डेटा बता रहा है कि हिमाचल प्रदेश के बांधों में इस साल 46% कम पानी जमा है। भाखड़ा डैम (गोविंद सागर) की कुल क्षमता 6.229 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी को सहेजने की है, लेकिन इसमें अभी केवल 20% ही पानी जमा है। यह पिछले साल के मुकाबले 19% कम है।

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रणजीत सागर डैम सबसे ज्यादा सूखा

पॉन्ग डैम में 6.157 बिलियन क्यूबिक मीटर जल भंडारण की क्षमता के मुकाबले इस साल कम बारिश और बर्फबारी के कारण वॉटर स्टोरेज महज 13% ही बाकी है। यह पिछले 10 साल के मुकाबले 12% कम है। वहीं रणजीत सागर बांध की कुल भंडारण क्षमता 2.344 बिलियन क्यूबिक मीटर है, लेकिन सूखे के कारण इस साल इसमें 20% पानी ही बचा है। यह बीते 10 साल के औसत से 41% कम है।

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कैसे बनेगी बिजली

हिमाचल प्रदेश की कुद बिजली उत्पादन क्षमता का करीब 72% हाइड्रो पावर से आता है। 2017 में राज्य की हाइड्रो पावर उत्पादन क्षमता 3,896 मेगावाट थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश की पांच बड़ी नदियों- चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज और यमुना में पानी बारिश और बर्फ पिघलने से आता है। दोनों में ही बीते एक साल में भारी गिरावट आई है। ऐसे में पर्यावरणविदों और जानकारों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि अगर गर्मी की शुरुआत में ही यह स्थिति है तो अभी बरसात आने में करीब 4 महीने का वक्त बाकी है। बांधों में पानी की कमी से बिजली बनने में समस्या आएगी, साथ ही सिंचाई और पीने के पानी की भी किल्लत पैदा हो सकती है।

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