#विविध
August 31, 2025
केंद्र ने शिक्षा के लिए हिमाचल को दिए करोड़ों रुपए, सुक्खू सरकार आधा भी नहीं कर पाई खर्च
कैग रिपोर्ट में खुली पोल, शिक्षा विभाग के लिए केंद्र से मिला बजट आधा भी नहीं हुआ खर्च
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार, बार-बार प्रदेश में गुणात्मक शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करती रही है। लेकिन हाल ही में पेश की गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने इन दावों की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट में साफ तौर पर सामने आया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए दी गई बड़ी राशि का आधा हिस्सा भी प्रदेश की सुक्खू सरकार खर्च नहीं कर पाई।
कैग रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को शिक्षा से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के तहत 31.85 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया था। लेकिन शिक्षा विभाग इस राशि का केवल आधा हिस्सा ही खर्च कर पाया। केंद्र की शर्तों के अनुसार, अगली किश्त तभी जारी की जाती है जब पहले दिए गए धन का उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया जाए। ऐसे में अब यह संकट और गहरा हो सकता है क्योंकि बिना खर्च के प्रमाण के अगली किश्त अटक सकती है।
इन योजनाओं का उद्देश्य प्रदेश के विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान करना था, लेकिन जब विभाग ही बजट खर्च नहीं कर पा रहा, तो इसका सीधा असर छात्रों और शिक्षण गुणवत्ता पर पड़ रहा है। विभाग द्वारा पैसा खर्च नहीं कर पाने का नुकसान छात्रों को उठाना पड़ा है।
रिपोर्ट में बताया गया कि हिमाचल प्रदेश सरकार केंद्र द्वारा प्रायोजित चार बड़ी योजनाओं के तहत मिले कुल 668.15 करोड़ रुपये में से सिर्फ 53 प्रतिशत (लगभग 354 करोड़ रुपये) ही खर्च कर सकी। ये योजनाएं हैं:
यह सवाल अब तीखा होता जा रहा है कि जब राज्य सरकार खुद आर्थिक तंगी से जूझ रही है और केंद्र पर हर विकास कार्य के लिए निर्भर है] तो फिर मिलने वाले बजट का उपयोग क्यों नहीं कर पा रही? मुख्यमंत्री सुक्खू शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बताते रहे हैं, लेकिन उनके ही कार्यकाल में शिक्षा योजनाओं के फंड का उचित उपयोग न होना उनकी कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ शिक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है। कैग रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास, जनजातीय विकास और अनुसूचित जाति उप योजना जैसे विभाग भी आवंटित बजट को समय पर खर्च नहीं कर पा रहे हैं। इससे न केवल योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पा रहा, बल्कि अगले वर्ष के बजट को लेकर भी संकट खड़ा हो सकता है।
जब केंद्र सरकार प्रदेश को योजनाओं के लिए राशि दे रही है और वही राशि उपयोग नहीं हो रही, तो यह एक गंभीर लापरवाही मानी जा सकती है। इससे न केवल केंद्र का भरोसा डगमगाता है, बल्कि आम जनता की जरूरतें भी अधूरी रह जाती हैं। हिमाचल जैसे छोटे और पहाड़ी राज्य के लिए केंद्र की सहायता जीवनरेखा की तरह होती है। ऐसे में फंड का इस्तेमाल न कर पाना सरकार की नीति निर्माण से लेकर ज़मीनी क्रियान्वयन तक की नाकामी को दर्शाता है।